कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। India-China Border Row: भारतीय और चीनी सैनिकों ने पूर्वी लद्दाख के देपसांग और डेमचोक सेक्टरों में पीछे हटने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह कदम दोनों देशों द्वारा वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर 'गश्त व्यवस्था' पर एक समझौते पर पहुंचने के बाद उठाया गया है। इस समझौते का उद्देश्य 2020 में इन क्षेत्रों में बने तनाव को कम करना है। रूस के कजान में ब्रिक्स नेताओं के शिखर सम्मेलन के दौरान बुधवार को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय बैठक के बाद इस समझौते पर सिग्नेचर किए गए। इस साल की शुरुआत में अप्रैल में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक इंटरव्यू में कहा था, मेरा मानना है कि हमें अपनी सीमाओं पर लंबे समय से चली आ रही स्थिति को तत्काल संबोधित करने की आवश्यकता है ताकि हमारे द्विपक्षीय संबंधों में असामान्यता को पीछे छोड़ा जा सके।" पीएम मोदी की रूस यात्रा पर एक विशेष ब्रीफिंग को संबोधित करते हुए विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा, "यह समझौता पिछले कई हफ्तों में राजनयिक और सैन्य दोनों स्तरों पर चीनी वार्ताकारों के साथ व्यापक चर्चा का परिणाम है।

2020 में प्रमुख टकरावों के दौरान विवाद
विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने 2020 से जारी तनाव को दूर करने के लिए चल रही बातचीत में सैन्य कमांडरों की भागीदारी पर प्रकाश डाला है। इन चर्चाओं का उद्देश्य 2020 में प्रमुख टकरावों के दौरान उभरे विवादास्पद मुद्दों के विघटन और संभावित समाधान की दिशा में एक रास्ता बनाना है। मई में समाचार एजेंसी पीटीआई को दिए एक साक्षात्कार में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन के साथ शेष मुद्दों के समाधान की उम्मीद जताई। विदेश मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि लंबित मुद्दे मुख्य रूप से "गश्ती अधिकारों" और "गश्ती क्षमताओं" के इर्द-गिर्द घूमते हैं। जून 2020 में सैनिकों के बीच घातक झड़पों के बाद दोनों देशों के बीच संबंध खराब हो गए, जिसमें कम से कम 20 भारतीय और अज्ञात संख्या में चीनी मारे गए।

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