क़ुरान के इस प्रति को मुग़ल सम्राट अकबर के समय का बताया जा रहा है।
मुसलमानों की इस पवित्र पुस्तक को पुलिस ने एक 10 सदस्यीय गिरोह से बरामद किया है। यह गिरोह इसे पाँच करोड़ रुपए में बेचने की कोशिश कर रहा था।
सुनहरी लिखावट
कुल 604 पन्नों की इस कुरान को काले तिरछे अक्षरों में सुनहरे रंग के पन्नों पर लिखा गया है। किताब के कवर पर जवाहरात जड़े हैं।
जाने-माने इतिहासकार और मंगलौर और गोवा विश्वविद्यालयों के पूर्व कुलपति प्रोफ़ेसर शेख अली ने बीबीसी हिंदी को बताया, ''इसकी हस्तलिपि उत्कृष्ट कला का नमूना है। मैंने
भारत में कई क़ुरान देखी हैं, लेकिन इसकी जैसी कोई नहीं है।''
अली ने कहा, ''इस हस्तलिपि का बेहतरीन पहलू यह है कि यह पन्नों पर एकदम स्पष्ट है। वह भी छह इंच लंबे और चार इंच चौड़े पन्नों पर।''
अली ने कहा, ''हिजरी कैलेंडर के मुताबिक़ यह क़ुरान 1050 के आसपास लिखी गई है।''
लेखन का वर्ष किताब के आख़िरी पन्ने पर लिखा गया है। अली ने कहा, ''हस्तलिपी की ऐसी स्पष्टता मैंने तुर्की के म्यूज़ियम में देखी है।''
मैसूर ग्रामीण के पुलिस अधीक्षक अभिनव खरे ने बताया, ''हमारा मानना है कि यह किताब कई हाथों से होते हुए गिरफ़्तार हुए लोगों तक पहुंची है।''
खरे ने कहा, ''हमारी सूचना के मुताबिक़ ये किताब इस गिरोह तक हैदराबाद से पहुंची है। इस मामले में अभी किसी नतीजे पर पहुँचना जल्दबाज़ी होगी।''
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