कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। जन गण मन सुनते ही मन में एक धुन आ जाती है और वो हमें इस बात का अहसास दिलाती है कि हम सब भारतीय है। राष्ट्रगान गाते वक्त हर भारतीय का दिल देशभक्ति और गर्व से भर जाता है। आज हम आपके लिए लाएं राष्ट्रगान से जुड़े कुछ फैक्टस, जिसे जानने के बाद आप भी इसे गाते वक्त यह समझ पाएंगे कि इसको लिखते और बनाते वक्त किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
राष्ट्रगान से जुड़े कुछ फैक्टस
राष्ट्रगान को रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा लिखा गया था। यह मूल रूप से बंगाली में लिखा गया था। पूरे गीत में संस्कृतकृत बंगाली में 5 श्लोक हैं जो भारत की संस्कृति, मूल्यों और स्वतंत्रता संग्राम को दर्शाता है। यह 1905 में तत्वबोधनी पत्रिका में प्रकाशित हुआ था। इसे पहली बार सार्वजनिक रूप से टैगोर ने 27 दिसंबर, 1911 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा आयोजित कलकत्ता अधिवेशन के दूसरे दिन सार्वजनिक रूप से गाया गया था।
1950 में अपनाया गया था
भारतो भाग्य विधाता गीत के पहले श्लोक को 24 जनवरी,1950 को भारत के राष्ट्रगान के रूप में संविधान सभा द्वारा अधिकारिक रूप से अपनाया गया था, और पहली बार 11 सितंबर,1942 को जर्मनी के हैम्बर्ग में प्रदर्शित किया गया था। पूरा राष्ट्रगान कानून के अनुसार 52 सेकेंड में भीतर गाना चाहिए, और इसके छोटे संस्करण को 20 सेकेंड के भीतर ही गाना चाहिए।कई जगहों पर यह दावा किया गया कि यह ब्रिटिश सम्राट, किंग जार्ज के पंचम के सम्मान में लिखा गया था। इसके बाद टैगोर ने खुद 10 नंवबर,1937 को लिखे एक पत्र में इस दावे को खारिज कर दिया था। 28 फरवरी,1919 को, टैगोर ने द मॉर्निंग सॉन्ग ऑफ इंडिया शीर्षक से गीत का एक अंग्रेजी अनुवाद लिखा था। इसका हिंदी- उर्दू संस्करण नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा संस्कृतकृत बंगाली से हिंदुस्तानी में कमीशन किया गया था और अनुवाद भारतीय राष्ट्रीय सेना के कप्तान आबिद अली द्वारा लिखा गया था।
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