कानपुर। भारत दौरे पर आई वेस्टइंडीज क्रिकेट टीम को दो मैचों की टेस्ट सीरीज में करारी हार मिली है। कप्तान विराट कोहली की अगुआई में टीम इंडिया के सामने कैरेबियाई खिलाड़ियों की एक न चली। जेसन होल्डर को छोड़ दिया जाए तो कोई भी वेस्टइंडीज खिलाड़ी प्रभावित नहीं कर सका। हालांकि ऐसा हमेशा नहीं रहा, एक वक्त ऐसा भी था जब दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज विराट कोहली कैरेबियाई गेंदबाजों से खौफ खाते थे। क्रिकइन्फो के डेटा के मुताबिक, विराट ने अपने टेस्ट करियर की शुरुआत वेस्टइंडीज के खिलाफ ही की थी और पहली ही सीरीज में वह बुरी तरह फ्लॉप रहे थे।
वेस्टइंडीज के खिलाफ डेब्यू टेस्ट में रहे थे फ्लॉप
विराट ने इस सीरीज में कुल तीन टेस्ट मैच खेले जिसमें कुल 76 रन बनाए थे। कोहली के इस खराब प्रदर्शन के जिम्मेदार कैरेबियाई गेंदबाज फिडेल एडवर्ड्स थे जिन्होंने शुरुआती चार पारियों में तीन में विराट को आउट किया था। तब कोहली को लगा कि उनका टेस्ट करियर खत्म हो जाएगा क्योंकि वह फिडेल की गेंदों को समझ नहीं पा रहे थे। हालांकि जब यह टेस्ट सीरीज खेली गई तब तक विराट को इंटरनेशनल करियर शुरु किए तीन साल हो गए थे वह वनडे मैचों में अच्छा प्रदर्शन कर रहे थे मगर डेब्यू टेस्ट को वह यादगार बनाने में असफल रहे।
विराट के बल्ले से नहीं निकलते थे रन
वेस्टइंडीज के खिलाफ विराट कोहली का टेस्ट करियर अभी भी ज्यादा बेहतर नहीं है। कैरेबियंस के खिलाफ उन्हें पहला शतक लगाने में 10 पारियां खेलनी पड़ी हालांकि उसके बाद विराट ने सीधा दोहरा शतक जड़ा। ओवरऑल देखा जाए तो कोहली ने वेस्टइंडीज के विरुद्ध कुल 12 टेस्ट खेले जिसमें 15 पारियों में उन्होंने 45.73 की औसत से कुल 686 रन अपने नाम किए। इस दौरान उनके बल्ले से 2 शतक और 3 अर्धशतक निकले।
इस बार विराट से ज्यादा शॉ की चर्चा
हालिया टेस्ट सीरीज में वेस्टइंडीज गेंदबाजों की धुनाई करने में विराट इस बार भी पीछे रह गए। मैन ऑफ द सीरीज जीतने वाले 18 साल के युवा भारतीय बल्लेबाज पृथ्वी शॉ इस बार चर्चा का विषय रहे। शॉ के टेस्ट करियर कर यह पहली सीरीज थी और शॉ ने कैरबियाई गेंदबाजों का जिस तरह से सामना किया वह वाकई काबिलेतारीफ है। टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली तो शॉ की बल्लेबाजी से काफी प्रभावित हुए। विराट कोहली कहते हैं, '18-19 साल की उम्र में पृथ्वी शॉ जैसा खेल रहा है हम में से कोई भी बल्लेबाज उस उम्र में इसका 10 परसेंट भी नहीं खेल पाता था। एक ऐसा खिलाड़ी जो मैदान में आए और अपनी पहली ही सीरीज में ऐसा खेल जाए तो यह भारतीय क्रिकेट के लिए अच्छा संकेत है।' शॉ की इतनी तारीफ इसलिए भी हो रही क्योंकि उसने डेब्यू टेस्ट की पहली पारी में ही शतक जड़ दिया था। आंकड़ों पर नजर डालें तो शॉ ने दो टेस्ट मैचों में 118.50 की औसत से 237 रन अपने नाम कर लिए। इसमें एक शतक और एक अर्धशतक शामिल है।
18 साल में पृथ्वी जैसा खेलता है हम उसका 10 परसेंट भी नहीं खेल पाते थे : विराट कोहली
कोहली ने शेयर की अपनी पुरानी तस्वीर, देखिए पहले से कितना बदल गए
Cricket News inextlive from Cricket News Desk