ऑकलैंड (पीटीआई)। शिखर धवन को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि टीम की कप्तानी किसे दी जा रही है। जिम्बाब्वे दौरे के दौरान जब उनसे भारत की कप्तानी लोकेश राहुल को सौंपने के लिये कहा गया तो उन्हें कोई दिक्कत नहीं हुई। धवन, जो आमतौर पर रोहित शर्मा की अनुपस्थिति में भारत की वनडे टीम की कमान संभालते हैं। उनको इस साल अगस्त में जिम्बाब्वे के तीन मैचों के एकदिवसीय दौरे के लिए कप्तान बनाया गया था, लेकिन बाद में केएल राहुल के फिट और उपलब्ध घोषित होने के बाद धवन से कप्तानी ले ली गई।
कप्तानी का नहीं है मोह
धवन ने कहा, "मुझे दुख नहीं हुआ क्योंकि मेरा मानना है कि कुछ चीजें पहले से तय होती हैं और जो कुछ भी होता है वह हमारे अच्छे के लिए होता है। और अगर आप इसे देखें, जिम्बाब्वे के बाद, मैंने फिर से घर में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ कप्तानी की और उसी चयन समिति ने मुझे नेतृत्व की बागडोर सौंपी। इसलिए जिम्बाब्वे में जो हुआ उससे मैं बिल्कुल भी आहत नहीं हूं। जरूर कहीं कुछ अच्छा छिपा होगा।' अनुभवी सलामी बल्लेबाज ने कहा कि वह बहुत भाग्यशाली हूं कि करियर के इस मोड़ पर उन्हें भारत की कप्तानी करने का मौका मिला है।"
अभी भी मेरी जगह नहीं ले सकता
161 वनडे मैच खेल चुके शिखर धवन, जो 5 दिसंबर को 37 साल के हो जाएंगे। उनके लिए अब गलती की गुंजाइश कम है। उन्हें लगता है कि सिर्फ एक फॉर्मेट खेलने से उन्हें जवीन और काम में बैलेंस बनाए रखने में मदद मिलती है। उन्होंने कहा, "यह पूरी तरह से व्यक्तियों पर निर्भर करता है। जब मैं तीन प्रारूपों में खेलता था, तब की तुलना में मैं अधिक तरोताजा और अधिक मजबूत रहता हूं।" बाएं हाथ के बल्लेबाज ने आगे कहा, "अब हमारे पास भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले तीनों र्फॉमेंट में बहुत सारे खिलाड़ी हैं और यह अच्छी बात है। एक प्रारूप को खेलने की अपनी चुनौतियां भी हैं, लेकिन मैं यह सुनिश्चित करता हूं कि मैं खुद को फिट रखूं और दूसरों से पीछे न रहूं। मुझे बराबरी करनी है।"
Cricket News inextlive from Cricket News Desk