लखनऊ: खुशियों के त्योहार होली से पहले योगी सरकार ने अपने दूसरे बजट में प्रदेश को विकास के रंग से सराबोर करने की कोशिश की है. पूर्ववर्ती सरकारों की तरह लोकलुभावन घोषणाएं न करके किसान और नौजवान को केंद्र में रखते हुए बजट का रंग तैयार किया गया है. रोजगार और कारोबार को बढ़ावा देकर राज्य सरकार युवाओं के जीवन को खुशियों के रंग से सराबोर करने की तैयारी में है. 'जय जवान, जय किसान' के मंत्र के साथ पेश करीब 4 लाख 28 हजार करोड़ का वर्तमान बजट होली पर प्रदेश की जनता को राज्य सरकार का गिफ्ट बनकर आया है. बजट में इंफ्रास्ट्रक्चर को खासा महत्व दिया गया है ताकि लोगों को रोजगार के लिए अन्य राज्यों का रुख न करना पड़े. इंवेस्टर्स समिट के गुलाल से सूबे के उद्योग जगत का चेहरा और चटख करने की कोशिश भी अहम अंग बन गयी है. वहीं शिक्षा क्षेत्र में सबसे ज्यादा पैसा बरसाकर सरकार ने युवा पीढ़ी का भविष्य सुरक्षित करने की ठानी है।
बजट के मुख्य बिंदु
- 4,28,384 करोड़ रुपये का बजट पेश
- 14,341 करोड़ रुपये की नई योजनाएं
- 68,263 करोड़ से सुधरेगी शिक्षा की तस्वीर
- 40 करोड़ से बनेगी सीएम हेल्पलाइन
-126 करोड़ मेडिकल कॉलेजों के लिए
-3 लाख 84 हजार करोड़ का पिछला बजट
-11.4 फीसदी पिछले बजट से अधिक
कोट
यह बजट प्रदेश के समग्र विकास और समाज के हर तबके को ध्यान में रखकर बनाया गया है. आने वाले समय में बजट का दायरा बढ़ेगा. इंवेस्टर्स समिट से यूपी बीमारू प्रदेश से स्वस्थ प्रदेश बनने जा रहा है. हमने वित्तीय अनुशासन को बनाए रखते हुए किसानों, नौजवानों, महिलाओं, गांवों को ध्यान में रखते हुए अब तक का सबसे बड़ा बजट पेश किया है. इसकी सबसे बड़ी खूबी यह है कि इंफ्रास्ट्रक्चर, डेवलपमेंट के साथ किसानों का भी पूरा ध्यान रखा गया है.
- योगी आदित्यनाथ, मुख्यमंत्री
1- विकास से ही बदलेगी सूबे की तस्वीर
वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल द्वारा विधानसभा में पेश किया गया बजट सूबे के विकास की अवधारणा से ओतप्रोत है। दरअसल सरकार की मंशा खेती-किसानी के साथ गांवों की सूरत बदलने की भी है. वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुनी करने के लिए इसमें बड़े पैमाने पर कृषि, बागवानी, खाद्य प्रसंस्करण, पशुपालन, डेयरी को बढ़ावा देने के लिए पिछले बजट के मुकाबले 17.5 फीसद अधिक धनराशि दी गयी है. प्रदेश सरकार ने सालों से ठप पड़ी सिंचाई परियोजनाओं को इस बार पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया है जिससे किसानों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है. इससे प्रदेश की करीब एक लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचित किया जा सकेगा. वहीं ग्रामीण इलाकों की सूरत बदलने को ग्राम्य विकास विभाग को 22,110 करोड़ रुपये दिए गये हैं. इसी तरह पूरे प्रदेश को ओडीएफ मुक्त करने के लिए पंचायती राज विभाग को 17,222 करोड़ रुपये की धनराशि दी गयी है. स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के लिए पांच हजार करोड़ रुपये की बड़ी धनराशि दी गयी है. खास बात यह है कि प्रदेश सरकार ने गांवों और शहरों के हर गरीब को उसका अपना घर बनाने के लिए खजाने के द्वार खोल दिए हैं. प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए 11 हजार करोड़ रुपये दिए गये हैं तो शहरी क्षेत्र के लिए 2217 करोड़ की व्यवस्था की गयी है।
2- सड़कों से खुलेगी तरक्की की राह
प्रदेश सरकार ने सूबे की तरक्की के लिए कई सड़क परियोजनाओं को अमली जामा पहनाने की कवायद की है। इस बार प्रदेश में सड़कों के निर्माण के लिए 17,615.29 करोड़ रुपये दिए गये हैं जो पिछले बजट के मुकाबले 22 फीसद ज्यादा है. इससे न केवल लोगों को रोजगार और कारोबार के नये अवसर मिलेंगे बल्कि उद्योग जगत को भी खासी सहूलियत होगी. इसे मूर्त रूप देने को पूर्वांचल एक्सप्रेस वे के लिए एक हजार करोड़ रुपये, आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे के बचे कार्यों के लिए 500 करोड़ और गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस वे परियोजना के प्रारंभिक कार्यों के लिए 550 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गयी है. राज्य सरकार ने बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे परियोजना के प्रारंभिक कार्यों के लिए बजट में 650 करोड़ रुपये का इंतजाम किया है. यह आगरा से चित्रकूट होते हुए इलाहाबाद तक जाएगा. राज्य सरकार ने इसे डिफेंस कॉरिडोर का नाम देते हुए करीब एक लाख करोड़ रुपये के निवेश की उम्मीद जताई है. वहीं जिला मुख्यालयों को फोर लेन से जोडऩे के लिए 1,600 करोड़ दिए गये हैं. विशेष क्षेत्र कार्यक्रम के तहत पूर्वांचल की विशेष परियोजनाओं के लिए 300 करोड़ और बुंदेलखंड की विशेष योजनाओं के लिए दो सौ करोड़ दिए गये हैं।
3- उद्योग जगत को खास महत्व
प्रदेश सरकार ने सूबे में उद्योगों का जाल बिछाने को बजट में खास प्राविधान किए है। औद्योगिक निवेश नीति के लिए 600 करोड़ तथा नई औद्योगिक नीति के लिए 500 करोड़ रुपये दिये गये है. वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट योजना के लिए 250 करोड़, मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना को 100 करोड़, हैंडलूम, पावरलूम, सिल्क, टेक्सटाइल एंड गारमेंटिंग नीति के लिए 50 करोड़, बुनकरों को सस्ती बिजली के लिए 150 करोड़, स्टार्ट अप फंड के लिए 250 करोड़, मुख्यमंत्री खाद्य प्रसंस्करण मिशन के लिए 42.49 करोड़ रुपये दिए गये हैं।
4- शिक्षा क्षेत्र को मिले पंख
प्रदेश सरकार ने अपने बजट में सबसे ज्यादा धनराशि शिक्षा क्षेत्र में दी है ताकि प्रदेश का युवा गुणवत्तापरक शिक्षा ग्रहण कर अपनी काबिलियत को लोहा मनवा सके. इसके लिए बजट में 68,263 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गयी है। सर्व शिक्षा अभियान को 18,167 करोड़, मुफ्त कॉपी-किताबें, यूनिफार्म के लिए 116 करोड़, मध्यान्ह भोजन योजना के लिए 2,048 करोड़, फल बांटने के लिए 167 करोड़, स्कूलों में इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए 500 करोड़, माध्यमिक शिक्षा अभियान के लिए 480 करोड़, राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान के लिए 167 करोड़, मॉडल महाविद्यालयों की स्थापना के लिए 37 करोड़, नये राजकीय महाविद्यालयों की स्थापना को 106 करोड़ रुपये दिए गये हैं. इसी तरह प्राविधिक एवं व्यवसायिक शिक्षा के लिए करीब चालीस करोड़ रुपये दिए गये हैं. इसके अलावा स्कॉलरशिप के लिए करीब 6,500 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गयी है।
5- हर घर तक पहुंचाएंगे बिजली
प्रदेश सरकार ने सूबे के हर घर में बिजली पहुंचाने के संकल्प को पूरा करने के लिए ऊर्जा विभाग के बजट में 54 फीसद का इजाफा किया है। ध्यान रहे कि देश के चार करोड़ घरों में अभी तक बिजली कनेक्शन नहीं है जिनमें से करीब 1.75 करोड़ यूपी के हैं. साल भर के भीतर वहां बिजली कनेक्शन देने को राज्य सरकार ने ऊर्जा विभाग की योजनाओं के लिए 29,883 करोड़ रुपये दिए हैं. इसके अलावा निजी क्षेत्र की मदद से वर्ष 2022 तक 10,700 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित करने का लक्ष्य रखा है. निजी आवासों पर ग्रिड संयोजित रूफटॉप सोल पॉवर प्लांट के लिए अनुदान योजना के तहत 25 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गयी है।
कहां से कितना राजस्व
71,500 करोड़ स्टेट जीएसटी से
23 हजार करोड़ आबकारी से
18 हजार करोड़ स्टांप एवं पंजीकरण से
7,400 करोड़ वाहन कर से
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