जब मिले भारत पाक पीएम:
जी हां पाकिस्तान द्वारा कश्मीर राग अलापना कोई नई बात नहीं है। वह हमेशा से ही इसे अपने अधिकार क्षेत्र में शामिल करने की कोशिश में रहता आया है। हालांकि पाकिस्तान द्वारा कश्मीर मांगने और भारत द्वारा देने को तैयार हो जाने वाला मामला साल 1990 में हुआ था। उस समय चंद्रशेखर सिंह प्रधानमंत्री पद पर थ्ो। इस दौरान दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन यानी कि सार्क समिट हुई। इसमें भारत की ओर से तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर और पाकिस्तान की ओर से नवाज शरीफ शामिल हुए थे।
कश्मीर के बगैर पाक अधूरा:
ये दोनों ही हस्ितयां पहली बार इस पद पर आसीन हुई थी। सार्क समिट में पहली बार मिलने पर ये दोनों प्रधानमंत्री एक दूसरे से काफी खुश हुए। इस समिट में नवाज शरीफ ने तो पीएम चंद्रशेखर को बड़े भाई तक कह दिया था। इसके साथ ही नवाज शरीफ ने इस मंच से कहा कि दोनों मुल्कों की स्थाई शांति और दोनों के बीच अच्छे संबंधों के लिए भारत को कश्मीर पाकिस्तान को सौंप देना चाहिए। कश्मीर के बिना पाकिस्तान अधूरा है। ऐसे में जब तक पाकिस्तान कश्मीर को पूर्ण रूप से नहीं ले लेगा वह चुप नहीं बैठेगा। यह सुनकर भारत के प्रधानमंत्री चंद्रशेखर मुस्कुराए और नवाज शरीफ को जबरदस्त जवाब दिया।
कश्मीर के साथ 15 करोड़ मुसलमान रखने की शर्त:
भारत के पीएम ने नवाज शरीफ वाली बात को दोहराते हुए कि कहा कि चलिए ठीक है भारत पाकिस्तान को कश्मीर दे देगा। वह तैयार है लेकिन जब पाकिस्तान कश्मीर लेगा तो भारत में रह रहे करीब 15 करोड़ मुसलमानों को भी वहीं रखना पड़ेगा क्योंकि हो सकता पाकिस्तान का मन उनके बगैर भी न लगे। इसके बगैर भी वह खुद को अधूरा महसूस करे। प्रधानमंत्री चंद्रशेखर का ऐसा जवाब सुनकर पीएम नवाज शरीफ का कहना था कि अरे उनका वो मतलब...बिल्कुल नहीं था जो वह समझ रहे हैं। हालांकि इस मामले के बाद से पाकिस्तान ने अंतराष्ट्रीय मंचों पर प्रत्यक्ष रूप से कश्मीर की मांग नहीं की।
दुनिया के खत्म होने की नई भविष्यवाणी, यह सच साबित होगी या झूठNational News inextlive from India News Desk
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