यहां सबसे जरूरी बात ये है कि प्रेग्नेंसी के दौरान मां को अच्छी-अच्छी बातें बोलनी चाहिए। अच्छी किताबें पढ़नी चाहिए। मन को शांत रखने वाले गीत सुनने चाहिए। सिर्फ यही नहीं कविताओं को मां की आवाज में सुनना भी बच्चे के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। इस सलाह के पीछे सिर्फ एक बड़ा कारण जिम्मेदार है। वह ये कि प्रेग्नेंसी के दौरान मां जो भी करती है उसका सीधा असर बच्चे पर पड़ता है। इस बात का विज्ञान ने भी प्रूफ कर दिया है।
डॉक्टर्स बताते हैं प्रेग्नेंसी के 23वें हफ्ते के बाद गर्भ में पल रहे बच्चे पर आवाजों का असर भी दिखने लगता है। ऐसे में उसके मां की आवाज तो उसके लिए सबसे ज्यादा खास होती है। कुल मिलाकर अगर बच्चा सबसे ज्यादा ध्यान अपनी मां की आवाज पर देता है तो मां को इस स्थिति में अच्छा और सॉफ्ट ही बोलना चाहिए।
प्रेग्नेंसी के दौरान मां क्या खाती है, उसका भी सीधा असर बच्चे पर पड़ता है। ऐसे में सबसे ज्यादा ध्यान मां को खाने पर देना चाहिए। वही चीजें ज्यादा से ज्यादा खानी चाहिए जो बच्चे के हर तरह से विकास में मदद करे। कुल मिलाकर प्रेग्नेंसी में मां को ओमेगा 3 से युक्त चीजें ज्यादा से ज्यादा खानी चाहिए।
अब आप सोच रहे होंगे कि ओमेगा 3 युक्त चीजें कौन सी होती हैं। दरअसल ये कई तरह के होते हैं। ये ड्राय फ्रूट्स से लेकर कई फलों तक में पाया जाता है। ऐसे में आपको किसी हेल्थ एक्सपर्ट से इसका चार्ट तैयार करवा लेना चाहिए।
यहां मां के लिए एक और जरूरी बात है। वह ये कि पेट के अंदर भी बच्चे को मां की छुअन का अहसास होता है। बच्चा इसका अहसास बखूबी करता है। यहां डॉक्टर एक और बात का ध्यान रख्ाने की सलाह देते हैं। वह ये कि मां के गर्भ पर कभी भी सीधी रोशनी नहीं पड़नी चाहिए।
इसके अलावा मां का स्वभाव और मन से शांत रहना भी बेहद जरूरी है। इसका भी बच्चे के दिमागी विकास पर सीधा असर पड़ता है। मां का ज्यादा गुस्सा करना या भड़कना काफी हद तक बच्चे को भी अग्रेसिव बना देता है।
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