फांसी देने का सिलसिला जारी
पेशावर के आर्मी पब्लिक स्कूल में 16 दिसंबर, 2014 को हुए आतंकवादी हमले के बाद से पाक पूरी तरह से एलर्ट हो गया है. इस सरकार ने अगले ही दिन आतंकवादी हमले के संबंध में फांसी पर लगाई गई रोक हटा दी थी. जिसके बाद से पाक आतंक को मिटाने के लिये अभियान चला रहा है. ऐसे में वहां पर आतंकियों को फांसी देने का सिलसिला लगातार जारी है. कल बुधवार को भी वहां पर चार लोगों को फांसी दी गयी. इस दौरान अब्दुल रज्जाक चौहान को एक छात्र आफताब मेरानी की हत्या के आरोप में 2003 में मृत्युदंड की सजा मिली थी. इसके अलावा जलाल मोरेजो को भी एक व्यक्ति की हत्या का दोषी पाया गया था और 2000 में मृत्युदंड सुनाया गया था.
8,000 कैदियों को होगी फांसी
वहीं मृत्युदंड का सामना कर रहे एक अन्य दोषी शाहबाज अली को पंजाब प्रांत के शाहीवाल केंद्रीय कारागार में फांसी दे दी गई. अली ने 1998 में जमीन विवाद में सात साल के एक बच्चे की गोली मार कर हत्या कर दी थी. इसके अलावा चौथे दोषी गुलाम यासीन को पंजाब प्रांत के केंद्रीय कारागार बहावलपुर में फांसी दे दी गई. उसे 2002 में दुष्कर्म और हत्या का दोषी पाया गया था. पाकिस्तान की विभिन्न जेलों में बंद करीब 8,000 कैदियों को अभी फांसी दिया जाना शेष है. पाक में फैले आतंक के खिलाफ पाक पीएम नवाज शरीफ ने अभी हाल ही में भी कहा है कि पाक से आतंक मिटाने के लिये उनका अभियान जारी रहेगा. एक एक आतंकी को खत्म करने के बाद ही यह अभियान अब रुकेगा.
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