ये तस्वीर साल 2011 में इंडोनेशिया के जंगल मकॉक प्रजाति के नारूतो नामक बंदर ने ली थी।
बंदर ने दरअसल न्यू साउथ वेल्स के मोनमाउथशर के रहने वाले डेविड स्लेटर का कैमरा उठा लिया था।
अमरीकी जज ने कहा कि बंदर को कॉपीराइट क़ानून के तहत अधिकार नहीं मिलेंगे, वहीं पेटा ने तर्क दिया कि जानवर को भी फ़ायदा होना चाहिए।
बंदर की ओर से दायर की गई पेटा की याचिका को रद्द कर दिया गया लेकिन स्लेटर भविष्य में इस तस्वीर से होने वाली कमाई का 25 प्रतिशत दान करने के लिए तैयार हो गए।
हम कहते ही रह गए, इन रिपोर्टर्स ने तो थोड़ा नहीं, बल्कि बहुत तूफानी कर के दिखा दिया!
स्लेटर और पेटा की ओर से जारी साझा बयान में कहा गया है कि तस्वीर की बिक्री से होने वाली कमाई का एक चौथाई नारूटो और उसके रहने की जगह की रक्षा करने वाली चैरिटी संस्थानों को दान दिया जाएगा।
पेटा के वकील जेफ़ कर्र ने कहा कि पेटा के इस मुक़दमे के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पशुओं के अधिकारों को लेकर चर्चा हुई थी।
वहीं स्लेटर का कहना था कि उन्होंने भी काफी मेहनत की थी और ये तस्वीर पर उनके कॉपीराइट के दावे के लिए काफी थी।
स्लेटर ने ये भी कहा कि वो स्वयं संरक्षणवादी हैं और तस्वीर में पैदा हुई रुचि की वजह से इंडोनेशिया के जानवरों को फ़ायदा पहुंचा है।
इनस मुक़दमे को नारूटो बनाम डेविड स्लेटर नाम दिया गया था। हालांकि बंदर की पहचान पर भी विवाद है।
पेटा का कहना है कि तस्वीर में दिख रहा बंदर मादा है और इसका नाम नारूटो है जबकि स्लेटर का कहना है कि ये मैकॉक प्रजाति का ही नर बंदर है।
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