पठानकोट (पीटीआई)। कठुआ में 8 साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म और उसका मर्डर करने के मामले में पठानकोट की जिला और सत्र अदालत ने यहां बृहस्पतिवार को 7 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय कर दिए हैं। बता दें मामले का आठवां आरोपी नाबालिग है। इस केस में कोर्ट ट्रायल 31 मई को शुरू हुआ था, जिसमें सात लोगों को जिला और सत्र न्यायाधीश के सामने पेश किया गया था, हालांकि उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने यह केस जम्मू कश्मीर के बाहर शिफ्ट कर दिया। पीड़ित की फैमिली की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने पक्षपात रहित ट्रायल के लिए यह केस जम्मू कश्मीर के बाहर शिफ्ट किया था। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यह भी आदेश दिया था कि कठुआ से 30 किलोमीटर दूर पठानकोट में होने वाली इस मामले की सुनवाई की पूरी वीडियो रिकॉर्डिंग की जाएगी।
फाइल की गई 15 पन्नों की चार्जशीट
जम्मू कश्मीर की क्राइम ब्रांच द्वारा कठुआ की अदालत में 9 अप्रैल को पेश की गई चार्जशीट में इस शॉकिंग घटनाक्रम की विस्तृत जानकारी दी गई है। इस मामले में जिन लोगों के खिलाफ आरोप तय हुए हैं उनमें आरोपी संजी राम, उसका बेटा विशाल, स्पेशल पुलिस ऑफिसर दीपक खजूरिया उर्फ दीपू, सुरिंदर वर्मा, परवेश कुमार उर्फ मन्नू, हेड कांस्टेबल तिलकराज और सब इंस्पेक्टर अरविंद दत्ता शामिल हैं। इस पूरे मामले में संजी राम को मुख्य अभियुक्त बताया गया है, जिसने अल्पसंख्यक घुमंतू समुदाय को अपने इलाके से भगाने के लिए उस छोटी बच्ची की किडनैपिंग की पूरी साजिश रची थी। इस केस में जिला और सत्र न्यायालय ने कई अलग-अलग धाराओं में आरोप तय किए हैं जिनमें आर पी सी की धारा 120 बी (आपराधिक षड्यंत्र), 302 (हत्या) और 376 डी (सामूहिक बलात्कार) की धाराएं शामिल हैं।
चार्जशीट के मुताबिक, ऐसे हुई थी घटना
मामले में क्राइम ब्रांच द्वारा फाइल की गई चार्जशीट के मुताबिक पीड़ित लड़की अल्पसंख्यक घुमंतू समुदाय से ताल्लुक रखती है, जिसे 10 जनवरी को किडनैप किया गया था उसके बाद कठुआ जिले के एक गांव में मौजूद छोटे मंदिर में बंधक बनाकर रखा गया। जहां उसे बेहोशी की दवाएं देकर उसके साथ कई बार दुष्कर्म किया गया और 4 दिन तक उसके साथ ऐसा करने के बाद 14 जनवरी को उसकी हत्या कर दी गई। लड़की का शव 17 जनवरी को बरामद किया गया। जिसके बाद से पूरे राज्य में जबरदस्त राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया।
पुलिस अधिकारियों पर भी गंभीर आरोप
क्राइम ब्रांच द्वारा फाइल की गई चार्जशीट में कई पुलिस अधिकारियों पर भी गंभीर आरोप हैं। इसके मुताबिक मामले को दबाए रखने के लिए और सबूत मिटाने के लिए मुख्य आरोपी संजी राम ने कुछ पुलिस अधिकारियों को 4 लाख की घूस दी। यह रकम 3 बार में दी गई। इसके बाद पुलिस अधिकारियों ने पीड़ित बच्ची के कपड़ों को धोकर उसमें मौजूद महत्वपूर्ण सबूतों को नष्ट कर दिया। इसके बाद ये कपड़े फॉरेंसिक जांच के लिए भेजे, ताकि वो कपड़े घटना के संबंध में फर्जी सबूत ही साबित हों। कोर्ट ने आरोपी पुलिस अधिकारियों पर सबूत मिटाने को लेकर भी विभिन्न धाराओं में अलग से आरोप तय किए हैं।
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