5 महीने तक चली सुनवाई
दरअसल इस घटना के बाद वहां की सरकार ने इसकी जांच कराना शुरु कर दिया था. इस केस की सुनवाई 5 महीने तक चली. फैसला सुनाते हुये तीन जजों ने कहा कि मौत की सजा की मांग करने वाले वकील यह साबित करने में नाकाम रहे कि सिवोल के कैप्टन ली जुन-सियोक (69) ने लोगों की हत्या के इरादे के साथ काम किया. हालांकि कैप्टन को बड़ी लापरवाही बरतने और ड्यूटी न निभाने का दोषी पाया गया था. वह जहाज को ऐसे समय में छोड़कर भाग गये थे, जब कई 100 यात्री उसपर फंसे थे. इनमें से ज्यादातर स्टूडेंट्स थे.

हत्या के आरोप से बरी
केस की सुनवाई के बाद जज ने जहाज के जुन-सियोक को 36 साल कैद की सजा सुनाई है, लेकिन कैप्टन को इस घटना में मरने वालों की हत्या के आरोप से बरी कर दिया गया. सुनवाई के दौरान पीडि़तों के जो संबंधी ग्वांग्जू शहर की अदालत में मौजूद थे, उन्होंने कैप्टन को हत्या के आरोप में बरी किये जाने पर गुस्सा जाहिर किया. इस फैसले के बाद एक महिला जजों पर चिल्लाई कि यह न्याय नहीं है. जिसके बाद कुछ लोग खुलकर रोने लगे. लोगों ने जज से गुहार लगाई की, कैप्टन को मौत से भी भयानक सजा के हकदार है.

कैप्टन भाग गया था

नरसंहार के आरोपों का सामना कर रहे चालक दल के तीन अन्य सीनियर सदस्यों को भी 15 से 30 साल के बीच की सजा सुनाई गई. जजों ने कहा कि हम इस नतीजे पर नहीं पहुंच सके हैं कि आरोपी इस बात को जानते थे कि उनके भाग जाने से सभी पीडि़त मारे जायेंगे, इसलिये हत्या के आरोपों का स्वीकार नहीं किया जा रहा. जजों ने इस बात पर जोर दिया कि अगर कैप्टन ली और उनके चालक दल के सदस्यों ने सियोल पोत के संकट में फंसते ही सही तरीके से काम किया होता, तो कई जिंदगियां बचाई जा सकती थीं.

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