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LUCKNOW। वह दिन दूर नहीं जब आप फोन पर या ऑनलाइन चाय ऑर्डर करेंगे और कुछ ही देर में ड्रोन चाय लेकर आपकी छत पर हाजिर होगा। इस अनूठे बिजनेस का मॉड्यूल तैयार किया है आईआईटी पासआउट इंजीनियर ने अपने साथियों के साथ। अब आप सोच रहे होंगे कि ड्रोन आखिर ऑर्डर देने वाले के घर या ऑफिस को ढूंढेगा कैसे? इसका भी तरीका इंजीनियरों ने निकाल लिया है। जीपीएस के जरिए ऑर्डर सटीक पते पर पहुंचेगा। हालांकि, अभी इस कारोबार को शुरू करने के लिये डीजीसीए की गाइडलाइन का इंतजार किया जा रहा है। इसके जारी होते ही कंपनी आपके दर तक हवा के रास्ते चाय पहुंचाना शुरू कर देगी।
ड्रोन मैन्युफैक्चरिंग से की शुरुआत
आईआईटी कानपुर से बीटेक पासआउट विक्रम सिंह मीणा ने वर्ष 2015 में टेक ईगल इनोवेशंस प्राइवेट लिमिटेड नाम से स्टार्टअप शुरू किया। आईआईटी के छोटे से गैराज से शुरू किये गए स्टार्टअप में विक्रम ने राजधानी के रामस्वरूप इंजीनियरिंग कॉलेज से पासआउट चार अन्य साथियों अंशू अभिषेक, शिवम राजपूत, अभिषेक राय और कुशाग्र कुशवाहा के साथ ड्रोन मैन्युफैक्चरिंग की शुरुआत की। पहले छोटे ड्रोन बनाने वाली कंपनी ने समय के साथ तकनीकी बाधाओं पर पार पाते हुए पांच मीटर तक के विंग्स वाले ड्रोन बनाने में कामयाबी हासिल कर ली।
डेवलप किया छोटा ड्रोन
इसके बाद सभी टीम मेंबर्स अपने नये प्लान को मूर्तरूप देने में जुट गए। आखिरकार बीती एक अप्रैल को टेक ईगल ने छोटा ड्रोन डेवलप कर लिया, जिसके जरिए 10 किलोमीटर तक दो किलो तक का पेलोड डिलीवर किया जा सकता है। बीती एक अप्रैल को अंशू व उनके साथियों ने ड्रोन के जरिए चाय डिलीवरी का सफल ट्रायल कर लिया है।
10 किलो पेलोड की क्षमता
यह ड्रोन 10 किलो तक पेलोड लेकर पांच घंटे की उड़ान भरने में सक्षम है। कंपनी की सफलताओं का ही परिणाम था कि उसे केंद्र सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रियल प्रमोशन एंड पॉलिसी ने भी मान्यता दी। हालांकि, देश में ड्रोन को लेकर कोई गाइडलाइन न होने की वजह से वे इसकी कॉमर्शियल मैन्युफैक्चरिंग न कर सके।
ऑनलाइन वेबसाइट ने दिखाई राह
कंपनी से जुड़े अंशू अभिषेक ने बताया कि वर्ष 2017 में उन लोगों ने अपनी कंपनी को लखनऊ शिफ्ट की और जानकीपुरम एक्सटेंशन में ऑफिस खोला। इस दौरान खाने का सामान घर तक पहुंचाने वाली ऑनलाइन वेबसाइट ने उनसे संपर्क किया और ड्रोन के जरिए खाना व अन्य सामग्री लोगों के घरों तक पहुंचाने के लिये टाइअप करने का ऑफर दिया। टेक ईगल के कर्ताधर्ताओं ने इस पर विचार किया और वेबसाइट के ऑफर को ठुकराते हुए खुद ड्रोन के जरिए चाय सप्लाई का कारोबार शुरू करने का प्लान बनाया।
जीपीएस के जरिए पहुंचेगा सटीक पते पर
अंशू अभिषेक ने बताया कि ऑनलाइन चाय ऑर्डर करने वाले की लोकेशन उसी वक्त ले ली जाएगी। जिसके बाद ड्रोन में जीपीएस के जरिए पाथ मैपिंग (रास्ते का नक्शा) कर डिलीवरी करने की जगह को फीड किया जाएगा।ऑर्डर से लेकर डिलीवरी तक इस काम में बमुश्किल 20 से 25 मिनट का वक्त लगेगा।
डीजीसीए गाइडलाइन जारी होते ही शुरू होगी सर्विस
कंपनी के फाउंडर विक्रम सिंह मीणा ने बताया कि ड्रोन को लेकर अब तक देश में गाइडलाइन नहीं है। डीजीसीए ऑफिस (डायरेक्टर जनरल सिविल एविएशन) इसे लेकर गाइडलाइन तैयार कर रहा है। गाइडलाइन को लेकर विभाग की बैठकों में इस सेक्टर से जुड़ी विभिन्न कंपनियों के साथ ही टेक ईगल ने भी अपने सुझाव दिये हैं। उन्होंने बताया कि उम्मीद है कि इसी साल जुलाई तक गाइडलाइन जारी हो जाएगी। इसके जारी होते ही परमीशन लेकर लखनऊ में ड्रोन के जरिए चाय डिलीवरी शुरू कर दी जाएगी।
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