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KANPUR : आईआईटियंस अगर उद्यमिता पर फोकस करेंगे तो खुद को भी आगे बढ़ाएंगे और देश भी आगे बढे़गा। यह दौर उद्यमिता के बोलबाला वाला है। जॉब गिवर बने न कि जॉब सीकर। टेक्नोलॉजी हमारे जीवन में समां गई है। टेक्नोलॉजी के बिना अब जीवन अधूरा है। इस दौर में हर हाथ में टेक्नोलॉजी पहुंच गई है। यह विचार आईआईटी के 52वें दीक्षांत समारोह के चीफ गेस्ट बी वी आर मोहन रेड्डी ने व्यक्त किए।
इन लोगों को मिली उपाधि
दीक्षांत समारोह में मिसाइल वूमेन डॉ. टेसी थॉमस, पद्मश्री सुधा मूर्ति व पुलेला गोपीचंद को उपाधि प्रदान की गई। चीफ गेस्ट सायंट के फाउंडर बीवीआर मोहन रेड्डी ने प्रेसीडेंट गोल्ड मेडल सोमेश्वर जैन, डायरेक्टर गोल्ड मेडल सुनील पांडेय, अनंत वत्स, रतन स्वरूप मेमोरियल अवॉर्ड मुग्धा अरोड़ा को दिया।
लोगों ने किया गर्व महसूस
इसके अलावा संतोष सी को शंकर दयाल शर्मा मेडल दिया गया। डॉ रेड्डी ने कहा कि मुझे गर्व है कि मै इसी संस्थान से 1973 में डिग्री लेकर निकला था। आज उसी संस्थान में दीक्षांत समारोह का चीफ गेस्ट हूं।
1626 छात्रों को डिग्री प्रदान की गई
दीक्षांत समारोह में 1626 छात्रों को डिग्री प्रदान की गई। इंडिया में उद्यमिता का दौर शुरू हो गया है। आप सभी एक्सीलेंट है आप भी इस पर फोकस करें। डायरेक्टर प्रो अभय करंदीकर ने इंस्टीट्यूट की डेवलपमेंट रिपोर्ट पेश की।
अग्नि मिसाइल को टेक्नोलॉजी से लैस करने पर चल रहा काम
समारोह में बीओजी चेयरमैन इसरो के पूर्व चेयरमैन के राधाकृष्णन ने कहा कि आईआईटी हमेशा बदलाव को स्वीकार करती है। यही वजह है कि यह संस्थान सुप्रीम बने हुए हैं।अग्नि मिसाइल को मॉडर्न टेक्नोलॉजी से लैस करने में साइंटिस्ट लगातार काम कर रहे हैं। यह जानकारी वर्ल्ड की फर्स्ट मिसाइल वूमन डीआरडीओ डीजी डॉ. टेसी थॉमस ने दी। बताया कि आईआईटी कानपुर डीआरडीओ के साथ मिलकर डिफरेंट रिसर्च प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है। उन्होंने बताया कि 34 साल पहले जब वह एमटेक कर रही थीं, उस टाइम से मिसाइल टेक्नोलॉजी पर काम कर रही हैं।
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