यह स्मार्टफोन ही नहीं, बल्कि स्मार्ट टीवी, टैबलेट, लैपटॉप, लाउडस्पीकर और कारों पर भी हमला कर सकता है।
दुनिया में कुल मिलाकर 5.3 अरब डिवाइस हैं जो ब्लूटूथ का इस्तेमाल करते हैं।
इस मैलवेयर का नाम ब्लूबॉर्न है। इसके जरिए हैकर उन डिवाइस को अपने नियंत्रण में ले सकता है जिनका ब्लूटूथ ऑन होगा। इसके जरिए आपके मोबाइल का डाटा आसानी से चोरी किया जा सकता है।
अर्मिस का कहना है, "हमलोगों को लगता है कि ब्लूटूथ डिवाइस से जुड़े कई और ऐसे मैलवेयर हो सकते हैं, जिनकी पहचान की जानी बाकी है।"
ये हैं खतरनाक मैलवेयर
ब्लूबगिंग
इसके मैलवेयर के हमले काफी गंभीर हो सकते हैं। ये बग ब्लूटूथ का फायदा उठाकर हमला करता है। ब्लूबॉर्न इसी श्रेणी में आता है।
इसके ज़रिए हमलावर आपके डिवाइस में वायरस भेज कर आपका डेटा चुरा सकते है।
ब्लूबॉर्न को यूजर की सहमति की जरूरत नहीं होती है और वो किसी लिंक पर क्लिक करने को भी नहीं कहता। सिर्फ दस सेकंड में वो किसी एक्टिव ब्लूटूथ डिवाइस को नियंत्रित कर सकता है।
आर्मिस ने एक ऐसा एप्लीकेशन बनाया है जो यह पता लगा सकता है कि आपका डिवाइस सुरक्षित है या नहीं। इस एप्लीकेशन का नाम है 'ब्लूबॉर्न वलनरब्लिटी स्कैनर'। ये ऐप गूगल के ऑनलाइन स्टोर पर उपलब्ध है।
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ब्लूजैकिंग
दूसरा खतरा है ब्लूजैकिंग। यह ब्लूटूथ से जुड़े कई डिवाइस को एक साथ स्पैम भेज सकता है।
यह वीकार्ड (पर्सनल इलेक्ट्रॉनिक कार्ड) के जरिए मैसेज भेजता है, जो एक नोट या फिर कॉनटैक्ट नंबर के रूप में होता है। आम तौर पर यह ब्लूटूथ डिवाइस के नाम से स्पैम भेजता है।
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ब्लूस्नार्फिंग
यह ब्लूजैकिंग से ज्यादा खत़रनाक है। इसके जरिए सूचनाओं की चोरी होती है। इसका इस्तेमाल मुख्य रूप से फोनबुक और डाटा चुराने के लिए किया जाता है।
इसके जरिए निजी मैसेज और तस्वीर भी चुराए जा सकते हैं। लेकिन इसके लिए हैकर को यूजर से 10 मीटर के दायरे में होना ज़रूरी होता है।
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कैसे सुरक्षित रहें
माइक्रोसॉफ्ट, गूगल और लिनक्स ने ब्लूबॉर्न से यूजर को बचाने के लिए पैच रिलीज की है, जिसे इंस्टॉल कर लें।
आधुनिक उपकरणों में ब्लूटूथ कनेक्टिविटी के लिए कंफर्मेशन कोड ज़रूरी होता है, इसका इस्तेमाल करें।
मोड 2 ब्लूटूथ का इस्तेमाल करें, यह ज्यादा सुरक्षित होता है।
अपने डिवाइस ब्लूटूथ नाम को हिडेन मोड में ही रखें।
इस्तेमाल नहीं किए जाने पर ब्लूटूथ को ऑफ रखें।
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