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14 साल का एक बच्चा जिसका नाम है धवल खत्री। बिल्कुल आम बच्चों की तरह ही हंसता खेलता, पतंग के पीछे भागता, एक दिन उसकी पतंग बिजली की तारों के बीच में फंस गई। बच्चा उस पतंग को निकालने के लिए आगे बढ़ता है और फिर एक ऐसा हादसा होता है कि उसकी जिंदगी ही बदल जाती है।

जैसे ही वो उन बिजली के तारों को छूता है, उसके पूरे शरीर में भयानक करंट दौड़ जाता है। पूरा शरीर झुलस जाता है और दोनों हाथ पूरी तरह से जल जाते हैं। उसे तुरंत हॉस्पिटल लाया जाता है, डॉक्टर्स के पास उसके दोनों हाथ काटने के सिवा और कोई दूसरा रास्ता नहीं बचता। 14 साल का बच्चा जिसके दोनों हाथ कट गए हों सोचिए कितना निराश होगा वो। लेकिन कहते हैं न मां-बाप इस दुनिया में भगवान का दूसरा रूप होते हैं और अगर भगवान किसी के साथ हों तो उसे कोई नहीं रोक सकता।

धवल के मां-बाप ने कभी उसे निराश नहीं होने दिया, बल्कि वो उसकी ताकत बन गए। हर रोज उसे पेन-पेंसिल पकड़ने की प्रैक्टिस करवाने लगे और धीरे-धीरे धवल पेंटिंग करने लगे। उनकी मेहनत और लगन का नतीजा था कि आज धवल खत्री एक बेहद सक्सेसफुल पेंटर बन चुके हैं और उनकी पेंटिंग देश-दुनिया में अच्छे दामों में बिकती है।

अपने नसीब को न कोसें

फ्रेंड्स, हम अक्सर अपनी असफलता के लिए अपने नसीब को दोष देते हैं। हम सफलता के लिए उतना प्रयास नहीं करते, जितना अपनी असफलता को छिपाने के लिए इसका कारण ढूंढने में करते हैं। कुदरत ने हमें बहुत कुछ दिया है। सब कुछ किसी को नहीं दिया है। इसलिए जो नहीं है, उसके लिए व्यर्थ की शिकायत से सफलता नहीं प्राप्त हो सकती। जो है, उसे अपनी ताकत बनाएं। जो है, उसे ही सफलता के शिखर पर चढ़ने के लिए सीढ़ी के तौर पर इस्तेमाल करें। आपके पास जो है और जितना है, उसे पर्याप्त मानें और तय कर लें कि इसी के साथ सफलता के शिखर को छूना है।

काम की बात

1. जो नहीं है, उसके लिए व्यर्थ की शिकायत से सफलता नहीं प्राप्त हो सकती।

2. आपके पास जो है और जितना है, उसे ही सफलता के रास्ते पर चलने के लिए पर्याप्त मानें।

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