- ऑपरेशन रक्षक के दौरान शहीद हुए नायक राकेश कुमार सिंह की पत्नी शिवकुमारी सिंह में देशभक्ति का जज्बा बरकरार
- पुलवामा हमले के बाद भारत की कार्रवाई पर जताई खुशी, पाकिस्तान को नेस्तनाबूद करने की मांग
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LUCKNOW : 'पति के शहीद होने पर मैंने सोचा था कि उनका अधूरा काम मेरा बेटा पूरा करेगा। पर, एक्सीडेंट की वजह से बेटा सेना के लिये अनफिट हो गया। लेकिन, मैंने हिम्मत नहीं हारी है। अब मैं अपने पौत्र को देश की रक्षा के लिये सेना में भेजूंगी.' पति को देश के लिये कुर्बान करने के बावजूद यह जज्बा है ऑपरेशन रक्षक में शहीद हुए नायक राकेश कुमार सिंह की पत्नी शिव कुमारी सिंह का। पुलवामा हमले के बाद एयर फोर्स द्वारा की गई एयर स्ट्राइक पर उन्होंने खुशी जताई साथ ही सरकार से मांग की कि जब तक पाकिस्तान को पूरी तरह नेस्तनाबूद न कर दिया जाए यह स्ट्राइक रुकनी नहीं चाहिये।
आतंकियों ने घेरा फिर भी नहीं मानी हार
सेना की आर्टलरी यूनिट में नायक के पद पर कार्यरत रहे राकेश कुमार सिंह 1999 में ग्वालियर में तैनात थे। उसी दौरान कारगिल में ऑपरेशन विजय शुरू होने पर उनकी यूनिट को कश्मीर में तैनात कर दिया गया। ऑपरेशन विजय में नायक राकेश कुमार सिंह व उनके साथी सैनिकों ने कारगिल की पहाडि़यों में बैठे दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिये। ऑपरेशन विजय खत्म होने के बाद सेना ने कश्मीर में छिपे बैठे आतंकियों को खत्म करने के लिये ऑपरेशन रक्षक लॉन्च किया। नायक राकेश की यूनिट को पुंछ सेक्टर में तैनात कर दिया गया। 4 अप्रैल 2001 को राकेश अपनी टीम के साथ एक कॉम्बिंग ऑपरेशन से वापस कैंप लौट रहे थे। इसी दौरान पहले से गाढ़ाबंदी किये आतंकियों ने उनके ट्रक को घेर कर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। आतंकियों से घिरने के बाद भी राकेश ने हिम्मत नहीं हारी और आतंकियों को जवाब देना शुरू किया। जिससे आतंकियों के पैर उखड़ने लगे।
सिर में लगी गोली
आतंकियों से लोहा ले रहे राकेश को अंदाजा न रहा कि वे चारों तरफ से आतंकियों से घिरे हुए हैं और उन्होंने एक तरफ के आतंकियों को जवाब देना जारी रखा। इसी बीच ट्रक के दूसरी तरफ मौजूद आतंकी ने ट्रक पर फायरिंग शुरू कर दी। इस फायरिंग में एक गोली राकेश कुमार सिंह को लगी और वे लहूलुहान होकर वहीं शहीद हो गए। इसी बीच मौका पाकर ड्राइवर ने ट्रक को भगाने की कोशिश की। पर, रोड पर आईईडी लगी थी, ट्रक के उस पर पहुंचते ही जोरदार धमाका हुआ और समूचा ट्रक रोड साइड बह रही झेलम नदी में जा गिरा।
नहीं हारी हिम्मत
वर्ष 2001 में जिस वक्त नायक राकेश कुमार सिंह शहीद हुए उनकी उम्र महज 26 साल जबकि, उनकी पत्नी शिवकुमारी सिंह की उम्र महज 24 साल थी। उस वक्त शिवकुमारी के एक बेटा अखिलेश 8 साल का व बेटी सोनम 5 साल की थी। शिवकुमारी ने बताया कि उस वक्त आर्मी से उनके लिये नौकरी का ऑफर आया लेकिन, उन्होंने इसे ठुकरा दिया और नौकरी बेटे के बालिग होने पर देने को कहा। उन्होंने बताया कि उनकी इच्छा थी कि उनका बेटा आर्मी ज्वाइन कर पिता की मौत का बदला ले। लेकिन, नियति को यह मंजूर न था। अखिलेश एक एक्सीडेंट में घायल हो गया और उसका हाथ बुरी तरह फ्रैक्चर हो गया। ऑपरेशन के बाद उसके हाथ में रॉड पड़ी। जिसके चलते वह आर्मी के लिये अनफिट हो गया। बावजूद इसके उनके सीने में जल रही बदले की आग अब तक शांत नहीं हुई है। शिवकुमारी ने कहा कि अब वे अपने पौत्र आरुष और अरनब को आर्मी में भेजेंगी। ताकि, वे अपने बाबा की मौत का बदला ले सकें और देश की रक्षा का बाबा द्वारा छोड़ा गया अधूरा काम पूरा कर सकें।
पाक के नेस्तनाबूद होने तक जारी रहे कार्रवाई
पुलवामा में 41 सीआरपीएफ जवानों की शहादत को याद कर शिवकुमारी सिंह सिहर उठती हैं। उन्होंने बताया कि जिस दिन यह हमला हुआ, टीवी पर इसकी तस्वीरें देख कर वे सदमें में आ गई। उन्हें 2001 में मिला वह जख्म हरा हो गया जब नायक राकेश कुमार सिंह शहीद हुए थे। उन्होंने कहा कि हमले के बाद से उनके भीतर गुस्सा उबाल मार रहा था। पर, इंडियन एयरफोर्स द्वारा पाकिस्तान में घुसकर आतंकी ठिकानों पर की गई स्ट्राइक ने उनके दिल को सुकून पहुंचाया है। शिवकुमारी ने कहा कि सरकार से उनकी मांग है कि जब तक पाकिस्तान पूरी तरह नेस्तनाबूद न हो जाए, तब तक यह हमले रुकने नहीं चाहिये।