पॉलिटिक्स ज्वाइन करना और पॉलिटिक्स करना कितना अलग अलग हो सकता है इसका अंदाज शायद किरन बेदी को अब हो रहा है. 'बीजेपी' ज्वाइन करके दिल्ली में उसकी सीएम कैंडीडेट बनी किरन बेदी आम आदमी पार्टी के लीडर अरविंद केजरीवाल से पूछ रही हैं कि जब वो पहले से ही जानते थे कि वो 'बीजेपी' को फेवर करती हैं तो फिर उन्होंने बेदी को 'आप' के लिए चीफ मिनिस्टर पोस्ट के लिए की उम्मीदवारी क्यों ऑफर की थी. सवाल में यूं तो कोई बुराई नहीं है लेकिन जब अरविंद पहले ही सवाल का आंसर दे चुके हें तो अब इस सवाल का क्या मतलब है. केजरीवाल ने कुछ टाइम पहले ही कहा था कि वे जानते थे कि बेदी 'बीजेपी' के लिए साफ्ट कार्नर रखती हैं पर फिर भी उन्होंने उन्हें अपने साथ आने के लिए इनवाइट किया क्योंकि उन्हें लगा कि उनकी वैल्यूज इमोशंस पर भारी बैठेंगी. इसीलिए बेदी की इस नरमी के बारे में जानते हुए भी वह उन्हें अपने पाले में लेने की कोशिश कर रहे थे.
'आप' को हुआ है फायदा
वैसे किरन के 'बीजेपी' ज्वाइन करने के बारे में बात करते हुए अरविंद का मानना है कि इससे 'आप' को फायदा ही हुआ है. केजरीवाल ने कहा है कि पहले ही दिल्ली 'बीजेपी' ग्रुप्स में बंटी हुई थी, हर लीडर का अपना गुट है और अब वे ही ग्रुप एक होकर किरण बेदी की दावेदारी के खिलाफ काम करने लगे हैं ऐसे में 'आप' तो सेफ हो गयी है. किरन के पार्टी में शामिल होने से पहले ही दिल्ली में 'बीजेपी' की नैया डूबने की कगार पर पहुंच चुकी थी. अरविंद का मानना है कि जब उन्हें पता चला कि किरण ने 'बीजेपी' ज्वाइन की तो उन्हें इस बात पर उनके लिए दुख हुआ और लगा कि उन्हें 'बीजेपी' ही मिली थी जवाइन करने के लिए.
केजरीवाल ने बताया कि किरण बेदी जब 'बीजेपी' के एक्स प्रेसिडेंट नितिन गडकरी के घर का घेराव से इंकार किया था तभी उन्हें, उनकी 'बीजेपी' से नजदीकियों का अंदाजा हो गया था. इसके बाद से ही वह ओपनली उनके खिलाफ हो गईं. अरविंद ने कहा हम उन्हें अपनी तरफ लाना चाहते थे लेकिन वह नहीं मानीं. उसके बाद उनसे रिश्ते नहीं रहे. किरण के 'बीजेपी' ज्वाइन करने पर अरविंद ने कई बार कहा कि है कि वो अब भी चाहते थे कि बेदी 'आप' में शामिल होतीं क्योकि इंर्पोटैंट अरविंद नहीं लोग है जो कहते हैं कि अगर उन्हें पॉलिटिक्स में आना था तो 'आम आदमी पार्टी' में आतीं. अगर उन्हें 'बीजेपी' इतनी ही पसंद थी तो वह अन्ना आंदोलन का हिस्सा क्यों बनीं? या तो वह उस वक्त गलत थीं, या अब गलत हैं. अरविंद की इन साफ बातों के बाद भी किरन उनसे सवाल क्यों कर रही हैं ये समझना जरा मुश्किल है.
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