पहले गेंदबाजी करने का फैसला
विश्वकप 2015 के पूल ए का छठा मैच न्यूजीलैंड और स्कॉटलैंड के बीच डूनेडिन में खेला गया. जिसमें मेजबान टीम ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करने का फैसला किया. इस दौरान अपने गेंदबाजों के उम्दा प्रदर्शन के दम पर न्यूजीलैंड ने स्कॉटलैंड के सभी बल्लेबाजों को 36.2 ओवरों में पवेलियन का रास्ता दिखा दिया. हालांकि स्कॉटलैंड के 142 रनों का पीछा करने में न्यूजीलैंड के भी पसीने छूट गए. केन विलियमसन ने सबसे ज्यादा 38 रन बनाए जबकि ग्रांट इलियट ने 29 रनों का योगदान दिया. केन और इलियट ने चौथे विकेट के लिए 40 रनों की साझेदारी की. इसके अलावा मार्टिन गुपटिल ने 17, कप्तान ब्रेंडन मैक्लम ने 15, रॉस टेलर ने सात, कोरी एंडरसन ने 11 और ल्यूक रोंची ने 12 रन बनाए. वहीं डेनियल विटोरी आठ और एडम मिलने एक रन पर नाबाद लौटे. वहीं बाउल्ट को मैन ऑफ द मैच चुना गया.
बल्लेबाज प्रभाव नहीं छोड़ सका
वहीं पहले बल्लेबाजी करने वाली टीम स्कॉटलैंड ने सिर्फ 142 रन ही बना पायी. टीम के मैट माचान (56) और रिची बेरिंग्टन (50) को छोड़कर कोई अन्य बल्लेबाज अपना प्रभाव नहीं छोड़ सका. माचान ने 79 गेंदों का सामना कर सात चौके और एक छक्का लगाया. इसी तरह बेरिंग्टन ने 80 गेंदों की पारी में चार चौके और एक छक्का लगाया. दोनों ने 12 रनों पर चार विकेट गिर जाने के बाद पांचवें विकेट के लिए 97 रनों की बड़ी साझीदारी की. हालांकि इसके बाद फिर स्कॉटलैंड के विकेट जल्दी जल्दी सिमटते रहे, और पूरी टीम 142 रनों पर पवेलियन लौट गई. न्यूजीलैंड की ओर से डेनियल विटोरी और हरफनमौला कोरी एंडरसन ने तीन-तीन विकेट लिए. टिम साउदी और ट्रेंट बाउल्ट को दो-दो विकेट मिले.
कमजोर टीम को हल्के में नहीं न ले
गौरतलब है कि न्यूजीलैंड की टीम ने इसके पहले मैच में श्रीलंका को 98 रन से शिकस्त दी थी. दोनों टीमे शुरुआत में आत्मविश्वास से भरी हुई थी. जबकि स्काटलैंड की टीम आठ साल बाद पहले विश्व कप मैच में खेलने के कारण उत्साह से लबरेज दिखी. उसे वह मुकाबला भी अच्छी तरह याद होगा जिसमें न्यूजीलैंड ने बमुश्किल स्काटलैंड को एक रन से हराया था. जिससे स्काटलैंड के कप्तान प्रेस्टन मोमसेन ने इस बात को याद किया कि उन्हें वह मैच याद है, जिसमें अंतिम गेंद में रन आउट से उनकी टीम जीत से महरुम रह गए थी. वही दूसरी तरफ न्यूजीलैंड की टीम आगामी चुनौती से अच्छी तरह वाकिफ दिख रही थी और कोच माइक हेसन ने साफ कहा था कि कोई भी टीम विरोधी कमजोर टीम को हल्के में नहीं न ले. हल्के में लेना ही टीम की गलती होगी.
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