70 और 80 के दशक में कई सुपरहिट फ़िल्में देने वाली रेखा ने कहा, "मैं कभी काम मांगने किसी के पास नहीं गई. किसी निर्माता या निर्देशक से मैंने अपने नाम की सिफ़ारिश नहीं की." रेखा फ़िल्मकार सुभाष घई के स्कूल 'विह्सलिंग वुड्स' के एक कार्यक्रम में छात्रों को संबोधित कर रही थीं.

फ़िल्में नहीं थी पहली पसंद

Rekha and Subsash

'मिस्टर नटवरलाल', 'दो अनजाने', 'उमराव जान' और 'सिलसिला' जैसी फ़िल्मों में बेहतरीन अभिनय के लिए जानी जाने वाली रेखा ने ये भी कहा कि फ़िल्म इंडस्ट्री में आना उनकी प्राथमिकता कतई नहीं थी. रेखा ने कहा, "इंडस्ट्री में आना मेरी पसंद नहीं था. बस ये अनायास हो गया. लेकिन अब मैं पीछे मुड़कर देखती हूं तो लगता है जो हुआ अच्छा हुआ. मैं अपने करियर से भरपूर संतुष्ट हूं."

उन्होंने आगे कहा, "इंडस्ट्री में आने के बाद मुझे मेरी पसंद के रोल मिलते चले गए और मैं काम करती चली गई. इसे मैं लोगों का आशीर्वाद मानती हूं." रेखा मानती हैं कि उन्होंने अपने काम का पूरा लुत्फ़ उठाया, शायद इसी वजह से लोगों ने भी उन्हें पसंद किया.

70 के दशक का जादू

Rekha

रेखा ने 1966 में बतौर बाल कलाकार अपने करियर की शुरुआत की थी. 70 के दशक में 'मुक़द्दर का सिकंदर', 'सुहाग', 'मिस्टर नटवरलाल' और 'ख़ून पसीना' जैसी फ़िल्मों में क्लिक करें अमिताभ बच्चन के साथ उनकी जोड़ी को ख़ूब पसंद किया गया.

रेखा बड़े पर्दे पर आख़िरी बार साल 2013 में आई 'कृष-3' में दिखी थीं. फ़िलहाल वो निर्देशक अभिषेक कपूर की आने वाली फ़िल्म 'फ़ितूर' में नज़र आएंगी. सुभाष घई के एक्टिंग स्कूल में छात्रों से रेखा मुख़ातिब हो रहीं थीं. हालांकि दिलचस्प बात तो ये है कि सुभाष की किसी फ़िल्म में रेखा ने काम नहीं किया.

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