आयोजकों का कहना है कि स्थानीय अधिकारियों के दबाव में यह निर्णय लिया गया है.
आयोजकों में से एक डॉ ख़ादिम हुसैन ने बीबीसी को बताया कि पेशावर में मंगलवार को होने वाला बुक लांच "प्रांतीय सरकार के हस्तक्षेप" के बाद रद्द कर दिया गया है.
पुलिस और स्थानीय अधिकारियों के अनुसार सुरक्षा कारणों से पुस्तक का विमोचन रोका गया.
हालांकि पाकिस्तान के नेता इमरान ख़ान ने कहा है कि वह इस फ़ैसले को समझ नहीं पाए हैं. इमरान ख़ान की पार्टी, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ (पीटीआई), इलाके की साझा सरकार का नेतृत्व कर रही है.
मंगलवार की सुबह पूर्व क्रिकेटर इमरान ख़ान ने ट्वीट किया, "मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि मलाला की किताब का विमोचन पेशावर में क्यों रोका गया. पीटीआई बोलने/बहस करने की आज़ादी में यकीन रखती है. विचारों की सेंशरशिप में नहीं."
राजनीतिक दबाव?
मलाला युसुफज़ई मात्र 14 साल की थीं जब स्वात घाटी में उन्हें तालिबान के लड़ाकों ने गोली मार दी थी.
अब मलाला और उनका परिवार ब्रितानी शहर बर्मिंघम में रहते हैं जहां मलाला का इलाज चल रहा है. पेशावर में होने वाले लॉन्च में मलाला के शामिल होने की कोई संभावना भी नहीं थी.
मलाला ने अपने पुस्तक को, 'मैं मलाला हूं', नाम दिया है जो उसके जैसी कई उन बच्चों की कहानी है जो चरमपंथ के कारण अपने स्कूल नहीं जा पाते हैं.
पुस्तक संबंधी कार्यक्रम पेशावर यूनिवर्सिटी एरिया स्टडी सर्किल और बाचा ख़ान एजुकेशन ट्रस्ट ने मिलकर आयोजित किया था.
बाचा ख़ान ट्रस्ट से जुड़े डॉ खादिम हुसैन कहते हैं कि पुलिस ने आयोजकों को सूचित किया कि वह इस कार्यक्रम के लिए सुरक्षा मुहैया नहीं करा सकते हैं.
डॉ हुसैन ने कहा कि कि इस मामले में राजनीतिक दबाव है और यूनिवर्सिटी पर राजनीतिक दबाव डाला गया है.
बीबीसी उर्दू से बात करते हुए उन्होंने कहा, "स्थानीय सरकार के दो मंत्रियों ने यूनिवर्सिटी प्रशासन पर दवाब डाला कि वह यह कार्यक्रम रद्द कर दे. कुछ महत्वपूर्ण व्यक्तियों ने भी स्टडी सर्किल के वरिष्ठ प्रोफेसरों को फ़ोन किया था."
पेशावर के पुलिस प्रमुख एजाज़ ख़ान ने बीबीसी से कहा कि पुस्तक विमोचन को "सुरक्षा चिंताओं" के कारण रोका गया है.
पुलिस के अनुसार यूनिवर्सिटी ने इस कार्यक्रम के बारे में कोई जानकारी पुलिस को नहीं थी जिसकी वजह से कम समय में इस कार्यक्रम के लिए सुरक्षा मुहैया कराना आसान नहीं था.
International News inextlive from World News Desk