कानपुर। हैदराबाद में महिला डाॅक्टर के साथ दुष्कर्म और उसकी हत्या करने वाले चारों आरोपी पुलिस एनकाउंटर में मारे गए। एक ओर जहां देशभर हैदराबाद पुलिस इस कार्रवाई को लेकर तारीफें बटोर रही है, वहीं सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने उनको लेकर एक विवादित बयान दे दिया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा है, 'प्रकाश कदम बनाम रामप्रसाद विश्वनाथ गुप्ता की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट की एक पीठ ने यह माना कि फर्जी एनकाउंटर के मामलों में संबंधित पुलिसकर्मियों को मृत्युदंड दिया जाना चाहिए। हैदराबाद 'एनकाउंटर' स्पष्ट रूप से फर्जी प्रतीत होता है।'
In Prakash Kadam vs Ramprashad Vishwanath Gupta ( see online ) a SC bench presided over by me held that in cases of fake &encounter&य the policemen concerned must be given death sentence. The Hyderabad &encounter&य appears to be clearly fake
— Markandey Katju (@mkatju) December 6, 2019
क्यों करते हैं गाली खाने का काम
बता दें कि मार्कंडेय काटजू आए दिन अपने विवादित बयानों को लेकर सुर्खियां बटोरते हैं। इस ट्वीट को लेकर सोशल मीडिया पर वह काफी ट्रोल हो रहे हैं। एक यूजर ने काटजू के ट्वीट पर अपनी प्रतिक्रिया में लिखा है, 'तुम काहे इस उम्र में गाली खाने वाली बातें करते हो।'
तुम काहे इस उम्र में गाली खाने वाली बातें करते हो
— Gaurav Sharma (@gaurasharma007) December 6, 2019
यूजर की प्रतिक्रिया
वहीं एक अन्य यूजर ने लिखा है, 'कभी कभी आप बहुत पी लेते हैं।'
You drink too much sometimes.
— Satya (@KimblyLabs) December 6, 2019
आप ही कर सकते हैं ऐसा काम
एक यूजर ने अपनी प्रक्रिया में लिखा है, 'ये काम चच्चा आपही कर सकते हैं।आखिर ऐसे ही कानून व्यवस्था से लोंगो का विश्वास नहीं उठा।इसमें आप जैसे महापुरुषों का बड़ा योगदान है।'
ये काम चच्चा आपही कर सकते हैं।आखिर ऐसे ही कानून व्यवस्था से लोंगो का विश्वास नहीं उठा।इसमें आप जैसे महापुरुषों का बड़ा योगदान है।
— Mahendra Mishra (@mahendraji111) December 6, 2019
न्याय प्रणाली की विफलता
मनोज नाम के एक यूजर ने अपने जवाब में लिखा है, 'किस अदालत ने इस एनकाउंटर को फर्जी साबित किया? अपराधियों के प्रति इतनी सहानुभूति क्यों? न्याय प्रणाली की नपुंसकता इस तरह के काम होने के लिए जिम्मेदार नहीं है? न्यायिक व्यवस्था में न्याय नहीं करने और 45 दिन की गर्मी व 30 दिनों की सर्दियों की छुट्टियों का आनंद लेने वालों को सजा क्यों नहीं? भले ही यह 'फर्जी' हो लेकिन यह विश्वास की भावना पैदा करता है और हमारी बहनों के दिमाग से डर को निकालता है और संभावित बलात्कारियों में भय पैदा करता है। "निर्भया" के साथ 2012 में किए गए अपराध के लिए 2020 में फांसी अपराधियों को रोक देगी या प्रोत्साहित करेगी?
Which court proved its fake sir? why so much sympathy for criminals? is impotency of justice system not responsible for such happening? why not punish those in judicial system not delivering justice and enjoying 45 day summer and 30 days winter vacation?
— Manoj (@ManojSri9) December 6, 2019
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