तेजी से भूमि बंजर होती जा रही
गांधीनगर(आईएएनएस)। गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के करीब 30 गांवों के लोगों ने बांध बनाने की अनोखी पहल कर दी है। ग्रामीणों का कहना है कि सरकार पिछले 25 सालों से बांध बनाने के लिए आश्वासन दे रही है लेकिन अब वे लोग सरकार का इंतजार नहीं कर सकते हैं। इसके पीछे मुख्य वजह है कि सरकार की हीलाहवाली का खामियाजा उन्हें हर साल अपनी फसलों की खराब पैदावार के रूप में देखना पड़ता है। आज यहां तेजी से भूमि बंजर होती जा रही है। इसका असर जमीन से आने वाले पानी और कुओं पर भी पड़ता है। इसके स्वाद में भी समुद्र के खारे पानी की लवणता का प्रभाव होता है।
ग्रामीणों ने इसी तरह बांध बनाया
समुद्र के किनारे करीब 20-25 किलोमीटर तक की दूरी में स्थित सभी गांव इससे प्रभावित होते हैं। ऐसे में भावनगर जिले के मेधाड़ा गांव के लोगों ने बांध बनाने की पहल सबसे पहले की। इसके बाद अब इसमें करीब 30 से अधिक गांवों के किसान शामिल हो रहे हैं। यह बांध ऐसा बनाया जाएगा जिससे कि समुद्र का पानी गांवों की भूमि पर असर न डाल सके। इस संबंध में राज्यव्यापी किसानों के संगठन के अध्यक्ष मनुभाई चावडा का कहना है कि उन्हें पूरी उम्मीद है कि किसानों की यह पहल रंग लाएगी। इसके पहले करीब 10-15 किमी निकोल और मलान तक ग्रामीणों ने इसी तरह बांध बनाया था।
यहां की जमीने अच्छी हो जाएंगी
ग्रामीणों की यह मेहनत रंग लाई और आज इन इलकों में किसान काफी खुश हैं। यहां की जमीनों पर अच्छी पैदावार हो रही है। उनका कहना है कि 1992 में, राज्य सरकार ने बागद नदी पर बांध बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। जिससे की समुद्र का पानी रोका जा सके। इसके लिए सरकार की तरफ से वित्त की मंजूरी भी मिल गई थी लेकिन अब तक सरकारे बांध बनाने में असफल रहीं। इसलिए अब मेधाड़ा के किसानों ने खुद 12 किलोमीटर लंबा बांध बनाने की शुरुआत कर दी है। इसमे बच्चे महिलाएं भी शामिल हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि जब यह बांध बन जाएगा तो उनके यहां की जमीने अच्छी हो जाएंगी।
जिला प्रशासन से एक रिपोर्ट मांगी
खास बात तो यह है कि इसके लिए बड़े-बड़े मशीनी उपकरण दिन रात काम कर रहे हैं। फिलहाल अभी सरकार की ओर से कोई मदद नहीं मिली है। वहीं इस संबंध में गुजरात राज्य के जल संसाधन मंत्री प्रभात पटेल का कहना है कि उन्होंने जिला प्रशासन से एक रिपोर्ट मांगी है। मेधाड़ा बांध पहले से ही एक अनुमोदित परियोजना है और इसके लिए 80 लाख रुपये मंजूर किए गए हैं। हम इस रिपोर्ट की प्रतीक्षा कर रहे हैं। उनका कहना है कि वन भूमि और विनियामक प्रतिबंधों का कुछ मुद्दा हो सकता है जिसकी वजह से जिसके कारण परियोजना को लागू नहीं किया गया हो। इस दिशा में जल्द ही फैसला लिया जाएगा।CBSE: ऐसे हुआ था 12वीं अर्थशास्त्र का पेपर लीक, गिरफ्तार हुए तीन लोगों ने बताया पूरा मास्टर प्लान
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