लंदन में है काफी डिमांड
मंदिरों में आपके द्वारा चढ़ाए गए बालों को बेच दिया जाता है। लंदन समेत कई पश्चिमी देशों में इनकी अच्छी खासी डिमांड है। अंतराष्ट्रीय बाज़ार में इनकी कीमत इतनी ज्यादा होती है कि इन्हें ‘काला सोना’ भी कहा जाता है। हालांकि इन बालों को ऐसे ही नहीं भेज दिया जाता है इनकी काफी साफ-सफाई की जाती है। सबसे पहले इन बालों को प्रोसेसिंग के लिए कारखाने ले जाते हैं। जहां इन बालों को हाथों से सुलझाया जाता है जो कि काफी मेहनत का काम है। कभी-कभी बालों को सुलझाने के लिए पतली सुई का इस्तेमाल भी किया जाता है। आखिर में इन बालों पर कंघा करके इन्हें लंबाई के हिसाब से अलग-अलग बंडल में रख दिया जाता है। इन बालों को फिर एसिड के जरिए कीटाणुओं से मुक्त करते हैं। अब जो साफ बाल तैयार होते हैं उनसे पुरुषों और महिलाओं के लिए कई तरह की विग बनती हैं। ये विग विदेशों में बेची जाती है।
1 हजार डॉलर प्रति किलो
इंटरनेशनल मार्केट में इन बालों की कीमत काफी ज्यादा होती है क्योंकि ये बाल अच्छी किस्म के होते हैं। बचपन से बढ़ाए गए बालों में केराटीन की मात्रा अधिक होती है। इस प्रोटीन की वजह से बाल स्वस्थ रहते हैं। ऐसे में ये बाल काफी अच्छे होते हैं। मंदिरों के बाद ग्रामीण भारत में महिलाओं के बालों का नंबर आता है क्योंकि व ना तो रंग लगाती हैं और न ही ब्लीच करती हैं। गौरतलब है कि तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के मंदिरों से बालों का निर्यात सबसे ज्यादा होता है। बालों की लंबाई के आधार पर 200 से 1,000 डॉलर प्रति किलो बाल बिकते हैं। इन आंकड़ों से साफ है कि आपके बाल बेकार नहीं है। अगली बार जब आप सैलून में बाल कटाने जाएंगे तो आपको इसकी कीमत का एहसास जरूर होगा।
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