जीवन के पांच आयाम हैं या पांच इंद्रियां हैं- दृष्टि, ध्वनि, गंध, स्वाद और स्पर्श। लेकिन यहां एक और पहलू है जिसकी गणना हम नहीं करते, वह है भावना; ईश्वर की उपस्थिति की अनुभूति। प्रकाश को आंखों के माध्यम से सुना नहीं जा सकता, उसे आंखों से देखा ही जा सकता है। ध्वनि को आंखों द्वारा नहीं देखा जा सकता, बल्कि कान से सुना जा सकता है। इसी तरह ईश्वर की उपस्थिति को दिल के द्वारा ही महसूस किया जा सकता है।
भगवान इंद्रियों की विषय वस्तु नहीं बल्कि भावनाओं की भावना हैं, उपस्थिति की उपस्थिति है, चुप्पी की आवाज हैं, जीवन के प्रकाश हैं, दुनिया का सार हैं और परमानंद के स्वाद हैं। और हम मानव जीवन को समृद्ध तभी कह सकते हैं, जब हम इस अस्तित्व की छठी इंद्रिय भावना में रहें। जब तुम अवसादग्रस्त रहते हो तो यह जान लो कि तुम अपने चारों ओर अवसाद के कण पैदा कर रहे हो। तुम्हारे चारों तरफ फैले अवसाद के आवेशकण पर्यावरण से चिपक जाते हैं हम बहुत ही सूक्ष्म रूप से अपनी नकारात्मक भावनाओं के माध्यम से वातावरण को गंदा कर रहे हैं। मुझे लगता है कि भविष्य में एक नियम होगा: जो भी उदास होता है उसे जुर्माना देना पड़ेगा! फिर आपको कहा जाएगा जाओ प्राणायाम करो, ध्यान करो और बिना किसी गोली को खाए अपने अवसाद से छुटकारा पाओ।
दु:खी होने के लिए यहां क्या है? वैसे भी तुम कुछ ही वर्षों के लिए यहां पर हो, तुम इस ग्रह पर कुछ ही साल रहोगे। और जब तक तुम यहां हो, अच्छा होगा कि तुम उसे खुशी-खुशी बिताओ। तुमको इस जीवन से बहुत अधिक मिल सकता है। यह तुम तब देख पाओगे, जब तुम कुछ समय अपने लिए निकालकर आत्मा को तरोताजा करोगे। तुम्हारी आत्मा तुमसे एक मुस्कान पाने के लिए भूखी है। यदि तुम इसे यह दे सकते हो, तो तुम पूरे साल ऊर्जा से भरे रहोगे और कोई भी तुम्हारी मुस्कान नहीं छीन पाएगा।
प्रत्येक व्यक्ति जीवन में सफल होना चाहता है। लेकिन वह जानता भी नहीं कि सफलता क्या है। सफलता के लक्षण क्या हैं? क्या केवल बहुत सारा पैसा होना सफलता है? तुम्हें ऐसा क्यों लगता है कि पैसा यानि सफल होना? क्योंकि पैसा आपको जो कुछ तुम करना चाहते हो उसे करने की आजादी देता है। तुम्हारे पास एक बड़ा बैंक बैलेंस होने के बावजूद आपको पेट दर्द, अल्सर हो सकता है। आपको बायपास सर्जरी के लिए जाना पड़ सकता है। यह नहीं खा सकते हैं, यह नहीं कर सकते, यह करना मना है।
हम धन पाने के लिए अपना आधा स्वास्थ्य खर्च कर देते हैं और फिर स्वास्थ्य को वापस पाने के लिए आधा धन खर्च कर देते हैं। यह कैसी विडंबना है? क्या यह सफलता है? उन सभी को देखो जो सफल होने का दावा करते हैं। क्या वे सफल हैं? नहीं, वे दुखी हैं। फिर सफलता की निशानी क्या है? सफलता की निशानी आनंद में डूबे रहना है, है न? वह है विश्वास, करुणा, उदारता और एक ऐसी मुस्कान जो कोई भी तुमसे छीन न सके। सच्चे दिल से प्रसन्न रहना और खुद को और अधिक मुक्त रखने के लिए सक्षम होना। ये एक सफल व्यक्ति के लक्षण हैं।
दिव्य उपस्थिति का अनुभव करें
कुछ समय निकालकर स्वयं में थोड़ा गहराई से झांककर देखो और मन को शांत करो। अपने मन से अपने सभी पुरानी छापों को मिटाकर हम दिव्य उपस्थिति का अनुभव कर सकते हैं, उस परमात्मा का अनुभव कर सकते हैं, जो हमारे अस्तित्व के केंद्र में निहित है। यही उपस्थिति की अनुभूति करना है।
— श्री श्री रवि शंकर जी
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