लाइफस्टाइल में छुपा है राज
अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोशिएसन की रिसर्च में सामने आया है कि जो लोग अपनी जिंदगी में एक नियमित जीवनशैली जीते हैं वे स्ट्रेसफुल सिचुएशन आने पर भी हसते हुए बुरे समय को निकाल देते हैं. ऐसे समय में नियमित जीवन शैली जीने वाले लोग अपनी जीवनशैली को नियमित बनाए रखने का प्रयत्न करते हैं इसलिए स्ट्रेस के बारे में सोचने में ज्यादा वक्त नहीं बिताते. सुबह टाइम पर जगने और सुबह सैर पर जाने की आदतें स्ट्रेस होने पर भी नहीं छूटतीं. हंसने वालों के पास नहीं फटकता
रिसर्च कहती है कि ऐसे लोग जो बात-बात में हसने की बहाना ढूंढ़ लेते हैं और कॉमेडी शोज के दीवाने होते हैं, स्ट्रेसफुल सिचुएशन को भी हैंडल कर ले जाते हैं. ऐसे लोग स्ट्रेस से छुटकारा पाने के लिए फनी ब्लॉगिंग और स्टेंडअप कॉमेडी का सहारा लेते हैं. मसलन अगर आप अपना फोन घर पर भूल आएं तो बस इस बारे में कोई जोक सोचकर टेंशन को भगा दीजिए. हालांकि आपको फोन लेने के लिए घर पर जरूर जाना पड़ेगा. लेकिन हसते हुए नाकि 90 की स्पीड पर गाड़ी चलाते हुए.
स्ट्रेस से बचाते हैं जंगल
रिसर्च कहती है कि नेचर लवर्स आसानी से स्ट्रेस की पकड़ में नहीं आते हैं. ऐसे लोग स्ट्रेसफुल सिचुएशन पैदा होते ही नेचर के बीच जाने का फैसला कर लेते हैं. चिड़ियों को दाने चुगते देखने और फुर्र से उड़ जाने में ऐसे लोगों का स्ट्रेस खूब कम होता है. ऐसे लोग हर साल संरक्षित जंगलों में जाने के लिए भी इच्छुक रहते हैं.
बस सोचना छोड़ दें
स्ट्रेस के मामले में सबसे ज्यादा बड़ी बात यह है कि आप जितना ज्यादा स्ट्रेस के बारे में सोचेंगे यह आपको उतना ही ज्यादा अपनी चपेट में लेता जाएगा. इसलिए तीसरी तरह के लोग वे हैं जो स्ट्रेस के कारणों और उनके निदान के बारे में सोचकर फाइल बंद कर देते हैं.