दिमाग में बनेगा भूत
स्विस वैज्ञानिकों ने पहली बार प्रयोगशाला में भूत के भ्रम को उत्पन्न करने में सफलता पाई है. इसके माध्यम से उन्होंने यह साबित किया कि न्यूरोलॉजिकल या मनोरोग से जूझ रहे मरीजों को अक्सर एक अजीब छाया की मौजूदगी का एहसास होता है जो केवल उनके दिमाग का वहम मात्र है. इकोले पॉलीटेक्निक फेडरल डी लॉजेन (ईपीएफएल) की टीम ने दिखाया कि एक छाया की मौजूदगी का आभास होना वास्तव में ज्ञानेन्द्रिय मस्तिष्क संकेतों के एक बदलाव का नतीजा है. सह-शोधकर्ता ओलाफ ब्लैंक ने समझाया, 'हमारे प्रयोग में पहली बार प्रयोगशाला में किसी बाहरी छाया की मौजूदगी का आभास किया गया है. इससे पता चलता है कि यह सामान्य परिस्थितियों में परस्पर विरोधी संवेदी मोटर संकेतों के माध्यम से पैदा किया जा सकता है.'

मस्तिष्क में होता है बदलाव
वैज्ञानिकों के अनुसार, यह रोबोट प्रणाली चरम अवस्था में मानसिक रोगियों या स्वस्थ लोगों में सनसनी को पैदा कर सकता है. ब्लैंक ने कहा, 'यह पुष्ट करता है कि यह धारणा उनके मस्तिष्क में एक बदलाव का नतीजा है.' शोधकर्ताओं ने अपने प्रयोग में 12 न्यूरोलॉजिकल मरीजों और दूसरे प्रतिभागियों के मस्तिष्कों का विश्लेषण किया जिसके आधार पर उन्होंने यह निष्कर्ष निकाला. शोधकर्ताओं के इस प्रयोग का प्रकाशन करेंट बॉयोलाजी जर्नल में किया गया है.

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