कानपुर। अमरीका की नेशनल साइबर सिक्योरिटी एलायंस की रिपोर्ट बताती है कि हर एक ऑनलाइन यूजर को अपनी प्राइवेसी या कहें कि अपने प्राइवेट डेटा को सेफ रखने के लिए कुछ बेसिक रूल्स फॉलो करने चाहिए। तो फटाफट जानिए वो काम के रूल।
1- सबकुछ अपडेट रखें
लैपटॉप हो या स्मार्टफोन हर जगह ऑनलाइन सुरक्षा के लिए आपको अपने सिस्टम का ऑॅपरेटिंग सिस्टम, ब्राउजर हमेशा अपडेट रखना चाहिए। इसके अलावा बेहतर ऑनलाइन सिक्योरिटी के लिए एंटी वायरस या एंटी मालवेयर प्रोग्राम भी आपके सिस्टम या फोन में मौजूद होने चाहिए, ताकि धोखे से आपके पर्सनल डेटा की कोई भी चोरी न हो सके।
2- प्राइवेसी सेटिंग्स में बदलाव
दुनिया भर में लगभग सभी ऑनलाइन यूजर्स गूगल, फेसबुक और याहू डॉट काम पर रोजमर्रा में विजिट करते ही हैं। इसलिए ऑनलाइन डेटा की प्राइवेसी बनाए रखने के लिए सबसे पहले इन्हीं साइट्स की प्राइवेसी सेटिंग्स में बदलाव करने की जरूरत है। इसके लिए ब्राउजर के सेटिंग्स मेन्यू में जाकर प्राइवेसी में जाएं और फिर सभी या अलग अलग वेबसाइटों के लिए अपनी प्राइवेसी सेटिंग्स बदल डालें। ताकि आपकी पर्सनल जानकारियां दुनिया में हर व्यक्ति के साथ शेयर न हो सकें। हमारी कोशिश होनी चाहिए कि हमारी पर्सनल जानकारियों और आदतों के बारे में हमारे अलावा कोई कुछ उन जानें। फिर भी अगर जरूरी हो तो ये जानकारियां सिर्फ कुछ खास लोगों तक ही पहुंचे।
3- ब्राउजर का प्राइवेट ब्राउजिंग मोड
द वर्ज की रिपोर्ट के मुताबिक लोग सोचते हैं कि Chrome सफारी या Firefox ब्राउजर के प्राइवेट ब्राउज़िंग मोड में जाकर वह ऑनलाइन प्लेटफॉर्म या वेबसाइटों से अपना पर्सनल डाटा छुपा सकते हैं, तो यह बात पूरी तरह से सही नहीं है। यह तरीका सही तो है लेकिन छोटे या मामूली काम अथवा बहुत कम समय के सेशन के लिए की गई इस तरह की प्राइवेट ब्राउज़िंग काम की हो सकती है, लेकिन लंबे समय तक किए जाने वाले ऑनलाइन फंक्शन के लिए प्राइवेट ब्राउजिंग का यह तरीका भी प्राइवेसी को बनाए रखने में ज्यादा मददगार साबित नहीं होता।
उदाहरण के लिए अगर आप चाहें कि Facebook को यह पता ना चले कि आप ब्राउजर पर दूसरी कौन सी वेबसाइट यूज कर रहे हैं या फिर आप वेबसाइटों पर आने वाले एडवरटाइजर्स को अपने पीछे पड़ने से रोकना चाहते हैं तो यह दोनों ही काम प्राइवेट ब्राउजिंग में संभव नहीं हैं।
4- ब्राउजर में कुकीज को सेव होने से रोकिए
आमतौर पर हर ब्राउजर में अलग-अलग वेबसाइट्स की कुकीज स्टोर होती हैं। अगर आप उनको ब्राउजर में स्टोर होने से रोक दें तो आपका बहुत सारा पर्सनल डाटा ऑनलाइन शेयर होने से बच जाएगा। इसके लिए आपको ब्राउजर में कुछ सेटिंग्स बदलनी होगी जैसे कि -
क्रोम ब्राउजर की सेटिंग्स में जाइए फिर एडवांस पर क्लिक कीजिए इसके बाद कंटेंट सेटिंग्स और फिर कुकीज में जाकर ब्लॉक थर्ड पार्टी कुकीज ऑप्शन को टर्न ऑन कर दीजिए।
इसी तरह से फायरफॉक्स में प्रिफरेंसेज में जाकर प्राइवेसी एंड सिक्योरिटी पर क्लिक करें इसके बाद हिस्ट्री सेक्शन में जाकर एक्सेप्ट थर्ड पार्टी कुकीज को नेवर करके बंद कर दें।
ऐसा करने का फायदा यह होगा कि तमाम वेबसाइटें आपकी ऑनलाइन गतिविधियों और हरकतों पर निगाह रखना बंद कर देंगी या कहें कि वो ऐसा कर नहीं पाएंगी।
5- ब्राउजर पर प्राइवेसी बैजर नाम का एक्सटेंशन ऐड करें
तमाम ऑनलाइन वेबसाइट्स या सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म द्वारा की जाने वाली आप की निगरानी को बंद करने के लिए आप अपने ब्राउजर में Privacy Badger नाम का एक ब्राउजर एक्सटेंशन ऐड कर सकते हैं। इस एक्सटेंशन का काम बहुत सीधा-साधा है जोकि हर एक वेबसाइट की कुकीज को ऑफ नहीं करता बल्कि जिन वेब साइटों को आप चाहें, उनकी कुकीज को सिस्टम पर आने से आप ब्लॉक कर सकते हैं। इसके अलावा यह प्राइवेसी बैजर तमाम अनाधिकृत वेबसाइटों द्वारा भेजी जाने वाली कुकीज को अपने आप ही ब्लॉक करता रहता है। यह प्राइवेसी ब्राउजर क्रोम Firefox और ओपेरा पर काम करता है।
6- अगर आप Android पर हैं तो वेबसाइट्स की निगरानी से कैसे बचें?
एंड्रॉयड यूजर्स अगर अपनी ब्राउजर एक्टीविटीज को किसी की निगरानी से बचाना चाहते हैं, तो उनके लिए एक आसान ऑप्शन यह है कि वह अपने फोन में Firefox फोकस नाम का नया Browser इंस्टॉल करें। यह Browser तमाम तरह की ट्रैकिंग वेबसाइट्स को ब्लॉक करने और आपके तमाम ऑनलाइन डाटा को डिलीट करने की आसान सुविधा देता है। बता दें कि यह Browser, iPhone पर भी उपलब्ध है
7- Google और Facebook के ऑप्शन बदलने की जरूरत
आमतौर पर Facebook और Google के अलावा तमाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म यूजर्स को आप्शन देते हैं कि वह अपनी ट्रैकिंग की परमिशन दे या ना दें। हालांकि परमिशन ना देने पर कई बार कुछ असुविधा भी होती है, लेकिन Facebook पर यूजर खास तौर पर अपने पेज पर आने वाले पर्सनल एड और उनकी ट्रैकिंग को ऑफ कर सकते हैं। इसके लिए आपको Facebook की ऐड सेटिंग्स में जाना होगा यहां पर आप तमाम सोर्स से आने वाले विज्ञापनों को रोक सकते हैं। कुकीज बेस्ड तमाम ऐड को ऑफ करने की ऐसी सुविधा Google भी उपलब्ध कराता है। जहां पर आप ऐड पर्सनलाइजेशन ऑप्शन को टर्न ऑफ कर सकते हैं, जिसके बाद खास तौर पर आपके सिस्टम या मोबाइल पर आने वाले इरीटेटिंग विज्ञापन कम या बंद हो सकते हैं।
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