कभी ना कभी आपके साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ होगा। आप हैरान हो रहे गए होंगे कि आख़िर कैसे बिना बताए लोगों को पता चल गया कि हमने क्या खाया था।
दरअसल हम जो खाते हैं उन खानों की अपनी एक ख़ास खुशबू होती है साथ ही उन्हें ज़ायक़ेदार बनाने के लिए जो मसाले डाले जाते हैं, उनकी महक भी इतनी तीखी होती है कि अगर खाने के बाद दांत साफ़ ना किए जाए तो कोई भी सूंघ कर आपके खाने का अंदाज़ा लगा सकता है।
लहसुन और प्याज़, ये दो ऐसी चीज़ें हैं जिनकी महक काफ़ी तेज़ होती है। गार्लिक ब्रेड के शौक़ीनों के लिए एक गंभीर मसला है कि आखिर खाने के बाद लहसुन की महक को मुंह से कैसे दूर किया जाए।
लहसुन खाने के चौबीस घंटे बाद भी इसकी गंध बरक़रार रहती है। यहां तक कि कुछ लोगों के तो पसीने से भी इसकी महक आती है।
ये भी ज़रूरी नहीं कि आपने लहसुन चबाया हो तभी आपके मुंह से उसकी महक आएगी। साल 1936 की बात है, एक डॉक्टर ने अपने मरीज़ को खाने की नली के ज़रिए गार्लिक सूप पीने को दिया।
डॉक्टर का कहना था कि घंटों बाद भी मरीज़ की सांस से लहसुन की महक आ रही थी। कुछ इसी तरह का दिलचस्प तजुर्बा एक और डॉक्टर के साथ हुआ। उन्होंने बच्चे की पैदाइश से पहले एक महिला को इसी तरह गार्लिक सूप पीने को दिया। मां कि सांसों से लहसन की महक आ रही थी। इससे भी ज़्यादा दिलचस्प बात ये थी कि जब बच्चा पैदा हुआ तो उसकी सांसों से भी लहसुन की महक आ रही थी।
दरअसल लहसुन में सल्फ़र बड़ी मात्रा में होता है। जब हम उसे पचाते हैं तो ये सल्फ़र खून में शामिल हो जाता है और हमारी सांस की नली, फेफड़ों और मुंह में जमा हो जाता है।
ब्रश करने के बाद मुंह से तो ये महक दूर हो जाती है। लेकिन हमारे शरीर में जिस तरह की गतिविधियां चल रही होती है उनके साथ भी ये सल्फ़र संपर्क साधता है और अपनी महक छोड़ जाता है। मसलन अगर आपको पसीना आएगा तो उसमें भी इसकी महक शामिल होगी।
अब सवाल ये है कि इस महक से निजात आख़िर मिले कैसे? जिस तरह लोहा लोहे को काटता है ठीक इसी तरह लहसुन की इस गंध को उसे खाने के बाद उत्पन्न होने वाले रासायनिक परिवर्तनों के ज़रिए ख़त्म किया जा सकता है।
कुछ सालों पहले अमरीका की ओहायो यूनिवर्सिटी की प्रोफ़ेसर बेरिंगर ने एक तजुर्बा किया।
उन्होंने पाया कि अगर लहसुन के साथ दूसरे खाने भी खाए जाए तो उसकी महक कम हो जाती है। जैसे अगर लहसुन के साथ तुलसी, पुदीना, अजवाइन, सलाद पत्ता को खाने में शामिल कर लिया जाए तो काफ़ी राहत रहती है।
इसी तजुर्बे के दौरान एक और दिलचस्प बात पता चली कि सेब में लहसुन की महक की काट करने की क्षमता सबसे ज़्यादा है। ये खोज भी इत्तेफ़ाक़ से ही हुई थी। एक दिन इस तजुर्बे में शामिल छात्र ने लहसुन खाने के बाद पानी के कुछ घूंट पी लिए। देखा गया कि लहसुन की महक काफ़ी हद तक कम थी।
फिर इस छात्र ने याद किया कि लहसुन खाने से पहले उसने क्या क्या खाया था। उसे याद आया कि लहसुन खाने से दो घंटे पहले उसने सेब खाया था। उसने फिर से सेब के कुछ टुकड़े खाए। इस बार तो ये महक पूरी तरह से ही ग़ायब हो गई।
प्रोफ़ेसर बेरिंगर का कहना कि उन्होंने बहुत सी चीज़ों के साथ तजुर्बा करके देखा लेकिन सबसे सटीक नतीजे पुदीना, सलाद पत्ता और कच्चे सेब के ही थे। लेकिन लहसुन की महक से बचने के ये सतही इंतज़ाम हैं। दरअसल कौन से एंज़ाइम इसकी महक को पैदा करते हैं कहना मुश्किल है। और ना ही सिर्फ़ एज़ाइम सल्फ़र के असर को कम कर सकते हैं। लेकिन एक बात पर सभी एक मत है कि फ़ैनोलिक एंज़ाइम इसकी महक को काफ़ी हद तक कम कर सकते हैं।
बहरहाल इंसान का वजूद सांसों की बुनियाद पर है। हमारी सांस और पसीने से ना सिर्फ़ ये पता चलता है कि हमने खाया क्या था बल्कि इससे ये भी पता चलता है कि किस तरह के बैक्टीरिया हमारे मुंह में अपनी बस्ती बना रहे हैं। साथ ही इससे हमारे शरीर में पलने वाली बहुत सी बीमारियों के बारे में भी पता चलता है।
इसके अलावा वैज्ञानिक इस बात की भी खोज कर रहे हैं कि हम सांस के ज़रिए जो अणु अपने अंदर लेते हैं उनसे फेफड़ों के कैंसर जैसी घातक बीमारी का सुराग़ मिल सके।
ख़ैर अब आप बेफ़िक्र होकर लहसुन का इस्तेमाल कीजिए। क्योंकि इसकी महक से निजात के नुस्खे हमने आपको बता ही दिए हैं। तो बिंदास अपना खाने का मज़ा लीजिए।
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