कानपुर। स्टीव जॉब्स अपने हर एक दिन को ऐसे जीते थे जिसे दुनिया का हर एक उद्यमी और बिजनेस मैन जीना चाहेगा। उनके हर एक दिन में क्या था खास...
ऑफिस ही नहीं जिंदगी में भी फोकस पर करते थे यकीन
स्टीव जॉब्स की बेस्ट सेलर बायोग्राफी लिखने वाले राइटर 'वॉल्टर इसैक्शन' ने हॉवर्ड बिजनेस रिव्यू को दिए एक इंटरव्यू में बताया कि स्टीव जॉब्स जिंदगी के तमाम कामों में से टॉप प्रायरिटी वाले कामों को छांटकर उन पर ही फोकस करने में यकीन करते थे और इस मामले में वो बहुत सख्त थे। ऑफिस हो या घर लोग स्टीव जॉब्स के पास तमाम तरह की समस्याएं लेकर आते थे लेकिन उनमें से वो हर एक सवाल का जवाब नहीं देते थे। दरअसल वो जिन चीजों के बारे में पूरी नॉलेज नहीं रखते थे, उनका आधा अधूरा जवाब ना देकर जॉब्स सबसे महत्वपूर्ण और जरूरी सवालों और समस्याओं पर ही फोकस कर उनका हल निकालने की कोशिश करते थे।
कैसे बिताते थे वह अपना हर एक दिन
अपनी हर एक दिन की शुरुआत में स्टीव जॉब्स मॉर्निंग में सबसे पहले अपनी कंपनी के प्रोडक्ट और मैनेजमेंट टीम के साथ फेस टू फेस मीटिंग करने में समय बिताते थे। उसके बाद वह दोपहर में एप्पल की डिजाइन लैब टीम के टॉप डिजाइनर जॉनी ईव के साथ डिस्कशन करते थे। इसके बाद स्टीव जॉब्स की हर एक शम उनके ऑफिस में नहीं बल्कि घर की लंबी चौड़ी लकड़ी की टेबल के इर्दगिर्द बीतती थी। शाम का वक्त स्टीव जॉब्स पॉलो अल्टो कैलिफोर्निया में अपने घर के किचन में अपनी पत्नी और बच्चों के साथ स्पेंड करते थे।
उनकी मीटिंग्स में पीपीटी और प्रेजेंटेशन थी बैन
स्टीव जॉब्स हफ्ते की शुरुआत में यानि सोमवार को कंपनी की एग्जीक्यूटिव टीम के साथ मीटिंग करते थे और बुधवार को वो दोपहर बाद कंपनी की मार्केटिंग टीम के साथ लंबी चौड़ी चर्चा करते थे। स्टीव जॉब्स की इन मीटिंग्स की एक सबसे अनोखी खासियत थी। उनकी मीटिंग्स में लंबी चौड़ी पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन या डिजिटल प्रजेंटेशन पूरी तरह से बैन थी। इस दौरान वो चाहते थे कि कंपनी के सभी एग्जीक्यूटिव्स और अधिकारी बिल्कुल ऑनेस्ट और प्रैक्टिकल तरीके से बातचीत करें। इस दौरान उनमें से कोई भी व्यक्ति हर तरह की प्रॉब्लम या सजेशन बिना झिझक के जॉब्स के साथ शेयर कर सकता था। जॉब्स का मानना था कि आजकल लोगों को लगता है कि हम ईमेल और स्काइप से ही सारा कम्यूनीकेशन कर सकते हैं। ऐसे में जरूरी यह है कि हम सीधे तौर पर आंखों में आंखें डालकर सबके साथ संवाद करें।
उनकी दोस्ती और खुलापन सबको कर देता था हैरान
स्टीव जॉब्स की बायोग्राफी लिखने वाले लेखक वॉल्टर बताते हैं कि मैं स्टीव जॉब्स की दो आदतों का कायल हो गया था। जिस तरह से वो अपने आसपास के लोगों के साथ दोस्ताना ढंग से और खुलेपन के साथ बातचीत करते थे वह काबिले तारीफ थी। यही नहीं अपने विचारों, अपनी बिजनेस स्ट्रैटजीस, अपने परिवार, अपने मिशन और उनके लिए इस धरती पर मौजूद हर एक महत्वपूर्ण चीज के बारे में स्टीव जॉब्स बहुत ही खुलकर बातचीत करते थे। यही वजह थी कि अपने आसपास वालों और कंपनी के छोटे से लेकर बड़े अधिकारियों तक को वो साधारण से लेकर बड़े बड़े कामों के लिए आसानी से प्रेरित कर देते थे और यही उनकी जिंदगी का रूटीन था।
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