आखिर कितने सच्चे हैं पाक के इरादे
पाकिस्तान सरकार ने पेशावर में आर्मी स्कूल पर हुए आतंकी हमले के बाद आतंक के खात्मे की कसम खाई है. पाक पीएम नवाज शरीफ ने कहा है कि वह दहशतगर्दी को पाकिस्तान की जमीं से उखाड़ फेंकने तक सांस नही लेंगे. वहीं पाक सेना प्रमुख ने नवाज शरीफ से फांसी की सजा प्राप्त 3000 आतंकवादियों को फांसी देने का आग्रह किया है जिसे स्वीकार कर लिया गया है. इसके साथ ही पाक सेना ने कबीलाई इलाकों पर दस घंटे में दस बार हमले करके अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं. लेकिन पाकिस्तान की एक कोर्ट द्वारा 26/11 हमलों में आरोपी लश्कर कमांडर जकीउर रहमान लखवी की जमानत कई बड़े प्रश्न खड़े करती है.
बुरा और अच्छा आतंकवाद
आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान सरकार की दोहरी नीतियां सरकार से पूरी दुनिया वाकिफ है और ओसामा बिन लादेन के पाकिस्तान में मारे जाने के बाद यह पूरी दुनिया के सामने आ चुका है. जहां एक तरफ पाकिस्तान सरकार मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज सईद की जनसभा को सरकारी समर्थन देने के साथ दो स्पेशल ट्रेनें चलवाती है. वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान सरकार तहरीक-ए-तालिबान को जड़ से उखाड़ फेंकने की कसम खा रही है. इस मामले में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि पाकिस्तान के शीर्ष नेताओं में से कोई भी इन हमलों के लिए खुलकर तालिबान के दोषी नही ठहरा रहा है. इसके साथ पाक पंजाब के आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाही करने के संकेत भी नही दिए जा रहे हैं. उल्लेखनीय है कि पंजाब प्रांत में शरीफ की पार्टी पीपीपी की सरकार है जो हाफिज सईद को सबसे ज्यादा फंड प्रोवाइड कराती है.
लादेन से दोस्ती के लिए फेमस
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