आजकल कैफ़ीन का प्रयोग बहुत से खाद्य पदार्थों में होने लगा है. क्या चाय और कॉफ़ी पीने वाले हमारे समाज की निर्भरता दुनिया भर में लोकप्रिय इस दवा पर बढ़ती जा रही है.
बुदबुदाती केतली, मग से उठती ख़ुशबू और सुबह का पहला कड़वा निवाला, यह एक ऐसी रस्म बन गई है, जिसके बिना दुनिया के लाखों लोगों के लिए दिन की शुरुआत सोचना मुश्किल लगता है.
'न्यू साइंटिस्ट' नाम की पत्रिका के मुताबिक़ कैफ़ीन दिमाग़ पर प्रभाव डालने वाली दुनिया की सबसे लोकप्रिय दवा है.
एक अनुमान के मुताबिक़ अमरीका में 90 फ़ीसदी से अधिक व्यस्क रोज़ाना इसका इस्तेमाल करते हैं.
कैफ़ीन का असर
लेकिन कोका कोला, स्टारबक्स और 5 ऑवर एनर्जी शॉट्स के देश अमरीका में वॉफ़ेल, सूरजमुखी के बीजों और जेली बिंस जैसे खाद्य पदार्थों में कैफ़ीन मिलाए जाने पर सवाल उठाए जा रहे हैं.
अमरीका के खाद्य और दवा प्रशासन (एफ़डीए) की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि ब्रिगले चूइंग गम के एक चूइंग गम में आधे कप कॉफ़ी के बराबर कैफ़ीन होती है.
एफ़डीए के इस बयान के बाद ब्रिगले ने कहा है कि वह इसका उत्पादन रोक देगा.
एफ़डीए अत्यधित कैफ़ीन वाले एनर्जी ड्रिंक पर भी ध्यान दे रहा है.
उसने कहा है कि उत्पादों में उत्तेजक पदार्थों मिलाने से पड़ने वाला प्रभाव चिंता का विषय है.
अमरीका के खाद्य पदार्थों के दुष्प्रभाव और मानसिक स्वास्थ्य सेवा प्रशासन के मुताबिक़ एनर्जी ड्रिंक पीने के बाद इमरजेंसी उपचार चाहने वालों की संख्या 2011 मे दो गुना बढ़कर 20 हज़ार से अधिक हो गई.
कैफ़ीन का ज़हरीलापन
हालांकि एनर्जी ड्रिंक निर्माताओं का कहना है कि उनके उत्पाद सुरक्षित हैं और उनके इस्तेमाल से किसी नुक़सानदायक प्रभाव का कोई प्रमाण नहीं मिला है.
कैफ़ीन के ज़हरीलेपन के कुछ लिखित प्रमाण भी है. लेकिन यह बहुत कम है.
कैफीन की लत का अध्ययन कर रहे जॉन हॉपकिंस विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के अनुसार कैफीन छोड़ने की प्रतिक्रिया में थकान, सिरदर्द, एकाग्रता में परेशानी, मासंपेशियों में दर्द और उबकाई जैसे लक्षणों दिखाई देते हैं.
कैफीन का प्रयोग हानिकारक है, इस पर वैज्ञानिक आम सहमति अभी बहुत दूर है.
हॉवर्ड स्कूल ऑफ़ पब्लिक हेल्थ की ओर से अभी हाल में किए गए एक अध्ययन के मुताबिक़ कॉफ़ी पीने का स्वास्थ्य पर कोई ख़तरनाक़ प्रभाव नहीं पड़ता है.
अध्ययन के मुताबिक़ एक दिन में छह कप से अधिक कॉफ़ी पीने से भी कोई नुक़सान नहीं होता है.
सकारात्मक प्रभाव
कैफ़ीन का कुछ सकारात्मक प्रभाव भी पड़ता है. अध्ययन बताते है कि कैफ़ीन के प्रयोग से प्रॉस्टेट और स्तन कैंसर का ख़तरा कम होता है.
अभी हाल में हुए एक अध्ययन के मुताबिक़ कॉफ़ी और चाय पीने से टाइप टू डायबीटीज़ का ख़तरा कम होता है.
इन सबके परिणामस्वरूप एफ़डीए ने वादा किया है कि अब वह यह तय करेगा कि कैफ़ीन का कितना प्रयोग सुरक्षित है.
एफ़डीए के इस क़दम का उन लोगों ने स्वागत किया है जिन्हें डर है कि कैफ़ीन ने उनके रोज़मर्रा के जीवन पहले से ही अतिक्रमण कर रखा है.
जॉर्ज वॉशिंगटन विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ़ पब्लिक हेल्थ एंड हेल्थ सर्विस के डीन लायने गोल्डमैन कहते हैं, ''बहुत से लोगों को यह पता नहीं होता है कि वे कितना कैफ़ीन ले रहे हैं.''
वे कहती हैं, ''इसके परिणामस्वरूप यह अनजाने में ही ख़ुद के लिए अनिद्रा, अपच और अपनी ब्लड प्रेशर के लिए समस्या पैदा कर सकते हैं.''
यह अभिभावकों के लिए चिंता का विषय है, जिनके लिए अपने बच्चों के खाने पर नियंत्रण कर पाना कठिन है.
कॉफ़ी के शौक़ीन
लेकिन पृथ्वी पर कैफ़ीन को चुनौती देना एक मुश्किल काम हो सकता है, इसकी सालना खपत एक लाख 20 हज़ार टन है.
कैफ़ीन का उपयोग सबसे अधिक फ़िनलैंड में होता है. वहां एक व्यस्क इंसान औसतन चार सौ मिलीग्राम कैफ़ीन का उपयोग प्रतिदिन करता है.
यह चार-पांच कप क़ाफी के बराबर और यूके फूड स्टैंडर्ड एजेंसी की ओर से निर्धारित अधिकतम मात्रा के बराबर होता है.
इतिहास में बहुत से ऐसे लोग हुए है जिनका कॉफ़ी से बहुत गहरा लगाव रहा है.
एक जीवनीलेखक के मुताबिक़ फ्रांसीसी उपान्यासकार और नाटककार बल्ज़ाक एक दिन में 50 कप तक कॉफ़ी पी जाते थे.
वहीं फ़िल्मकार डेविड लिंच खाते समय सात कप कॉफ़ी पी जाते थे. वे अधिक चीनी वाली कॉफ़ी पीते थे. उनका कहना था कि इससे अधिक विचार आते थे.
हाल के दिनों में जिनके कॉफ़ी पीने की चर्चा हुई है, वे हैं गायक राब्बी विलियम्स, वे एक दिन में 36 एस्प्रेसो कॉफी और रेड बुल की 20 केन पी जाते हैं.
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