इंटरनेट के शुरुआती दौर में 1994 में शुरु हुए अमेज़न की कीमत आज लगभग 247 अरब डॉलर है। लेकिन ऐसा नहीं कि कंपनी बहुत बड़ा मुनाफ़ा कमा रही है।
कंपनी के चलते रहने का राज़ है कि प्रति आइटम या पार्सल कीमत कम रखी जाती है, ख़ासी एफ़िश्यंसी के साथ बड़ी तादाद में सामान बेचा जाता है।
कुल मिलाकर मुनाफ़ा कमाया जाता है लेकिन आख़िर ये सब होता कैसे है और इसके पीछे का बंदोबस्त क्या?
दरअसल इसका राज़ है स्मार्ट कंप्यूटर कोड और ज़्यादा से ज़्यादा मशीनों का इस्तेमाल।।
इसका जवाब ढूंढने के लिए बीबीसी फ़्यूचर की टीम ने इंग्लैंड के हेमल हेम्पस्टीड में अमेज़न के वेअरहाउस यानी भंडारघर में कामकाज का तरीका देखा।
लगभग 40 हज़ार वर्ग मीटर में फैले इस भंडारघर में 'पैलेट लैंड' जैसा एरिया है जहाँ बड़ा सामान रखा जाता है और 'द टॉवर' जैसे सैकड़ों शेल्फ़ हैं जहां दूसरा सामान रखा जाता है। यहां एक के ऊपर एक पैकेट रखे होते हैं लेकिन ये ज़रूरी नहीं कि एक तरह की चीज एक ही जगह रखी हो।
यहां चीजों को चुनने और इसे भेजने में स्कैनर और सॉफ़्टवेअर की मुख्य भूमिका है।
आप ऑर्डर भेजते हैं तो सबसे पहले सॉफ़्टवेअर यह पता लगाता है कि वह चीज कहां रखी हुई है। यह सॉफ़्टवेअर किसी कर्मचारी को बताता है कि वो चीज़ कहां रखी है।
वो कर्मचारी उक्त शेल्फ़ तक पहुँचता है, पैकेट उठाता है, फिर हाथ में उठाए स्कैनर से स्कैन करता है। स्कैनर तय करता है कि वो सही पैकेट है, उस पर पता सही है या नहीं, और फिर उस पर ग्राहक का नाम, पते की पर्ची चिपका देता है।
न्यूयॉर्क टाइम्स की एक इन्वेस्टीगेशन से पता चला कि डेटा का अमेज़न के काम में कितना महत्व है। यहा तक कि कर्मचारियों की परफ़ॉर्मेंस भी लगातार कंप्यूटर सॉफ़्टवेयर के ज़रिए चेक की जाती है। इस सॉफ़्टवेयर का नाम है - एनी टाइम फ़ीडबैक और इसके ज़रिए कर्मचारी एक दूसरी के काम की प्रशंसा और आलोचना भी कर सकते हैं।
बीबीसी के पैनोर्मा प्रोग्राम ने रिपोर्ट किया है कि कर्मचारियों से ख़ासी कुशलता की उम्मीद की जाती है। हाथ में उठाने वाला स्कैनर यहां तक रिकॉर्ड करता है कि कर्मचारी कितने सैकेंड में पैकेट उठाता है और दो पैकेट उठाने के बीच का समय कितना है।
हेमल हेम्पस्टीडके केंद्र में एक कर्मचारी बताता है कि वह दिन में लगभग 1000 पैकेट उठाता है।
अमेज़न ये मानता है कि उसके इस एफ़िश्यंट ऑपरेशन में लोगों का काम करना कमज़ोर कड़ी है।
नए कंप्यूटर सिस्टम बनाए जा रहे हैं जो ख़ुद ही शेल्फ़ से चीज़ं को उठाकर पैकेज भी कर पाएँगे।
अमेज़न की ही एक कंपनी किवा सिस्टम्स हाई-टेक वेअरहाउस रोबोटिक्स के क्षेत्र में काम करती है और उच्च तकनीक के साफ़्टवेअर बनाती है।
एक और कंपनी जिसका नाम सिक है, सिक इंस्पेक्टर 30 नाम के उपकरण बना रही है जिनसे वेअरहाउस में मनुष्य के काम करने की ज़रूरत नहीं रहेगी।
अमेज़न की योजना के मुताबिक जब पैकेट चुनने का काम अब रोबोट पर छोड़ा जाएगा तो प्रति पैकेट 10 सैकेंड बचेंगे जिससे हर घंटे में 15 प्रतिशत अधिक पैकेट उठाए जा सकेंगे।
फिलहाल होने ये जा रहा है कि सामान से लदे शेल्फ़ शेल्फ़ ख़ुद कर्मचारी तक पंहुचेगे और वह बस उस सामान को उठा कर आगे का काम करेगा। इससे समय बचेगा और ग़लती की गुंजाइश भी कम होगी।
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