सिख वेलफ़ेयर एंड अवेयरनेस टीम (एसडब्ल्यूएटी या स्वैट) की एक वैन से अभी-अभी उन्हें गर्म सूप, ड्रिंक्स और चॉकलेट बार मिला है.
मध्य लंदन स्थित इस स्ट्रैंड में हर हफ़्ते यह वैन आती है और सिख समुदाय के कुछ स्वयंसेवक ग़रीबों को खाने की चीज़ें बांटते हैं.
इन्हें लेने के लिए लंदन के क़रीब 250 लोग लाइन लगाकर खड़े होते हैं.
इन्हीं में एक जॉन डेविड्स कहते हैं, "हमें यहां गर्मागर्म खाना मिलता है और यह हमारे लिए बहुत बड़ी बात है."
दान से बढ़कर
वैन के स्वयंसेवकों का कहना है कि यह काम उनके लिए दान से बढ़कर है. उनके मुताबिक़ भारत में जाति-धर्म के नाम पर विभाजन के समय गुरु नानक ने सभी को समान समझने की वकालत करते हुए लंगर व्यवस्था शुरू की थी.
लंगर का मतलब दान दिए गए धन से हरी सब्ज़ी और पौष्टिक खाना बनाकर हर समुदाय और श्रेणी के लोगों को मुफ़्त में खिलाने से होता है.
दूसरों की मदद
लंगर के लिए गैर सिख समुदाय के लोगों की बढ़ती संख्या पर साउथहॉल के गुरु सिंह सभा गुरुद्वारे की मैनेजमेंट टीम के वरिष्ठ सदस्य, सुरिंदर सिंह प्योरवेल कहते हैं, "हमारे पास लंगर के लिए कभी दान की कमी नहीं होती. जब तक गुरुद्वारे में आने वालों की भावनाएं अच्छी हैं, उनके मन में हमारे धर्म के प्रति आदर है और वे अपने सिर को परंपरागत तरीके से ढककर आते हैं, उनका यहां स्वागत है.''
आज पूरे ब्रिटेन के हर गुरुद्वारे में हज़ारों लंगर लगते हैं.
भारत के बाहर, गुरु सिंह सभा गुरुद्वारा सबसे बड़ा गुरुद्वारा है, जो हफ़्ते के दिनों में 5000 लंगर और सप्ताहांत में 10,000 लंगर खिलाता है.
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