फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी से लेकर होलिका दहन तक के समय को होलाष्टक माना जाता है। इस बार यह 14 मार्च से लेकर 21 मार्च 2019 तक है। इसी बीच में रवि पुष्य योग, अमृतसिद्ध योग और सर्वाथ सिद्ध योग का भी विशेष योग है। यह योग प्रेमी युगल और विवाहित जोड़ों के लिए विशेष फलदायी है।
ज्योषित शास्त्र के अनुसार, होलाष्टक के दिनों में कोई भी मांगलिक कार्य करना निषेध होता है। इस समय शुभ मांगलिक कार्य करने पर अपशगुन होता है। लेकिन रवि पुष्य योग, अमृतसिद्ध योग और सर्वाथ सिद्ध योग में पूजा का विशेष महत्व भी है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, फाल्गुन पूर्णिमा से पहले अष्टमी को चन्द्रमा, नवमी को सूर्य, दशमी को शनि, एकादशी को शुक्र, द्वादशी को गुरू, त्रियोदशी को बुध, चतुर्दशी को मंगल तथा पूर्णिमा (होलिका दहन के समय) को राहु और केतु का उग्र प्रभाव होता है।
इस बार होलाष्टक में 17 मार्च 2019 को रवि पुष्य योग एवं सर्वाथ सिद्ध योग, अमृतसिद्ध योग विशेष होने के कारण प्रेमी युगल और विवाहित जोड़े प्रभु दर्शन करें, इसके बाद वे कामदेव को प्रसन्न कर अपने प्रेम तथा सफल दाम्पत्य जीवन की कामना एवं प्रार्थना करें, जिससे उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी।
— ज्योतिषाचार्य पं राजीव शर्मा
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