खिलाड़ियों ने रंगीन पोशाकें पहननी शुरू की, गेंद का रंग सफ़ेद हो गया और अंपायर तक रंगीन पोशाक में नज़र आने लगे. मैच दिन-रात के और 50-50 ओवरों के होने लगे.

पहले तीन विश्व कप इंग्लैंड में आयोजित हुए जिनमें से दो विश्व कप का ख़िताब वेस्टइंडीज़ ने जीता. लेकिन 1983 का विश्व कप जीतकर भारत ने बड़ा उलटफेर किया.

ऑस्ट्रेलिया ने सबसे ज़्यादा चार बार विश्व कप का ख़िताब जीता है और तीन बार लगातार ख़िताब जीतकर नया रिकॉर्ड बनाया है.

भारत ने 2011 में टूर्नामेंट जीतकर दूसरी बार विश्व कप ख़िताब पर कब्जा किया.

इस बार विश्व कप का आयोजन ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड में संयुक्त रूप से हो रहा है. देखना है कि भारतीय टीम क्या अपने ख़िताब की रक्षा कर पाएगी.

इन सबके बीच आइए नज़र डालें विश्व कप क्रिकेट के इतिहास पर. (पहली कड़ी)

1975 विश्व कप

कोई गावसकर को पकड़कर बाहर लाओ!

वर्ष 1975 में पहला विश्व कप क्रिकेट इंग्लैंड में खेला गया था. दो ग्रुपों में आठ टीमों ने हिस्सा लिया था. हर ग्रुप की शीर्ष दो टीमों को सीधे सेमी फ़ाइनल में प्रवेश दिया गया था.

उस समय 60 ओवर का एक मैच होता था. उस समय खिलाड़ी क्रिकेट की पारंपरिक पोशाक यानी सफ़ेद कपड़े पहनते थे. सभी मैच दिन में ही होते थे.

पहले ग्रुप में इंग्लैंड, न्यूज़ीलैंड, भारत और ईस्ट अफ़्रीका की टीमें थीं, तो दूसरे ग्रुप में थे- वेस्टइंडीज़, ऑस्ट्रेलिया, पाकिस्तान और श्रीलंका.

इसी विश्व कप के एक मैच में भारत के महान बल्लेबाज़ सुनील गावसकर ने पूरे 60 ओवर बल्लेबाज़ी की और सिर्फ़ 36 रन बनाए. अपनी पारी में उन्होंने सिर्फ़ एक चौका लगाया था. मैच था इंग्लैंड के ख़िलाफ़. इंग्लैंड ने लॉर्ड्स के मैदान पर पहले बल्लेबाज़ी करते हुए 60 ओवर में चार विकेट पर 334 रन बनाए थे.

लेकिन जवाब में भारत ने 60 ओवर में तीन विकेट पर 132 रन बनाए. गावसकर ने 174 गेंदों का सामना किया और एक चौके की मदद से सिर्फ़ 36 रन बनाए और नाबाद रहे. कहा जाता है कि वनडे क्रिकेट का विरोध करने के लिए गावसकर ने ऐसी धीमी पारी खेली थी.

भारत इस विश्व कप में सिर्फ़ एक मैच जीत पाया, वो भी ईस्ट अफ़्रीका के ख़िलाफ़.

फ़ाइनल में वेस्टइंडीज़ का मुक़ाबला हुआ ऑस्ट्रेलिया से. इस ऐतिहासिक मैच में पहला विश्व कप जीतने का गौरव हासिल किया वेस्टइंडीज़ ने. कप्तान क्लाइव लॉयड की अगुआई में टीम ने अच्छा प्रदर्शन किया और 17 रनों से जीत हासिल की.

1979 विश्व कप

कोई गावसकर को पकड़कर बाहर लाओ!

इस विश्व कप का स्वरूप भी 1975 के विश्व कप की तरह ही रहा.

इस बार ग्रुप ए में इंग्लैंड, पाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा की टीमें थी, तो ग्रुप बी में वेस्टइंडीज़, न्यूज़ीलैंड, श्रीलंका और भारत. श्रीलंका की टीम आईसीसी ट्रॉफ़ी जीतने के कारण विश्व कप में खेलने आई थी.

इस विश्व कप में ऑस्ट्रेलिया ने एक अनजान सी टीम चुनी, क्योंकि उसके अच्छे खिलाड़ी कैरी पैकर के साथ जुड़े हुए थे. हालाँकि वेस्टइंडीज़ और पाकिस्तान ने कैरी पैकर की वर्ल्ड सिरीज़ से जुड़े खिलाड़ियों को भी टीम में रखा.

ख़िताब की तगड़ी दावेदार वेस्टइंडीज़ की टीम दो मैच जीतकर अपने ग्रुप में शीर्ष स्थान पर रही.

श्रीलंका ने भारत को हराकर प्रतियोगिता का सबसे बड़ा उलटफेर किया. इस मैच में श्रीलंका ने भारत को 47 रन से हराया. भारतीय टीम इस विश्व कप में एक भी मैच नहीं जीत पाई.

दूसरी बार फ़ाइनल खेलने पहुँची वेस्टइंडीज़ की टीम तो इस बार मेजबान इंग्लैंड को भी किस्मत आज़माने का मौक़ा मिला.

कोई गावसकर को पकड़कर बाहर लाओ!

विवियन रिचर्डस ने दूसरे विश्व कप के फ़ाइनल में शतक ठोका था.

विवियन रिचर्ड्स ने शानदार शतक ठोंका और कॉलिस किंग ने भी बेहतरीन पारी खेली. वेस्टइंडीज़ ने 286 रनों का स्कोर खड़ा किया. ब्रियरली और बॉयकॉट ने अर्धशतक बनाए. इन दोनों के आउट होते ही इंग्लैंड की टीम धराशाई हो गई. इंग्लैंड की टीम 51 ओवर में 194 रन बनाकर आउट हो गई. वेस्टइंडीज़ ने लगातार दूसरी बार विश्व कप पर क़ब्ज़ा किया.

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