मामले में 2007 में एक याचिका दायर कर कहा गया था कि मंदिर पुराने नाले पर कब्जा कर बनाया गया है जिसके बाद से मामला अदालत में लंबित था. कराची में बीबीसी संवाददाता अरमान साबिर ने बताया कि 2007 से ही सिंध हाई कोर्ट ने मामले में स्टे लगा रखा था जिसे 13 नवंबर को हटा लिया गया.
संवाददाता के अनुसार 13 नवंबर को सिंध हाईकोर्ट में पुजारी की तरफ से एक वकील पेश हुए हैं और उन्होंने कहा कि पुजारी केस को वापस लेना चाहते हैं. इसके बाद कल यानी शनिवार को स्टे ऑर्डर खत्म होने के साथ ही सरकार ने मंदिर को ढहाने का आदेश दे दिया.
हिंदुओं का विरोध
मंदिर को ढहाए जाने के बाद से हिंदुओं में खासी नाराजगी है. लोगों का कहना है कि श्रीराम पीर मंदिर को भारत-पाक विभाजन के पहले ही बनाया गया था. मंदिर को तोड़े जाने के बाद रविवार को पाकिस्तान हिंदू काउंसिल के लोगों ने कराची प्रेस क्लब के बाहर प्रदर्शन भी किया.
कराची के हिंदुओं का कहना है कि उनके साथ धोखा हुआ है और वे मामले में दोबारा केस दर्ज कराएंगे. खबर ये भी है कि मंदिर से सटे कुछ घर भी तोड़ दिए गए हैं.
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