Hindu New Year 2020: युगों में प्रथम सत्ययुग का प्रारम्भ भी चैत्र नवरात्रि की तिथि से ही हुआ था। इस महत्व को मानकर भारत के महामहिम सार्वभौम सम्राट विक्रमादित्य ने भी अपने संवत्सर का आरम्भ (आज से प्रायः ढाई हजार वर्ष पहले) चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही किया था। इसमें सन्देह नहीं है कि विश्व के यावन्मात्र संवत्सरों में शालिवाहन शक और विक्रम संवत्सर। ये दोनों सर्वोत्कृष्ट हैं परन्तु शक का विशेषकर गणित में प्रयोजन होता है और विक्रम- संवत् का इस देश में गणित, फलित, लोक- व्यवहार और धर्मानुष्ठानों के समय- ज्ञान आदि में अमिट रूप से उपयोग और आदर किया जाता है। ब्रह्मा जी ने जब सृष्टि का आरम्भ किया। उस समय इसको सर्वोत्तम तिथि सूचित किया था और वास्तव में यह सबसे उत्तम तिथि है भी। इसमें धार्मिक, सामाजिक, व्यावहारिक और राजनीतिक आदि अधिक महत्व के अनेक काम आरंभ किए जाते हैं। इसमें संवत्सर का पूजन, नवरात्र- घट- स्थापन, ध्वजारोपण, तैलाभ्यंग- स्नान, वर्षेशादि का फल पाठ आदि लोकप्रसिद्ध और विश्वोपकारक काम होते हैं जो इस वर्ष बुधवार 25 मार्च से आरम्भ हो रहा है।
6 मई को होगा आनंद संवत्सर का प्रवेश
संवत्सर उसे कहते हैं जिसमें मास आदि भलीभांति निवास करते रहें। इसका दूसरा अर्थ है बारह महीने का काल विशेष। इस वर्ष के प्रारंभ में "प्रमादी" नामक 2077वां संवत्सर रहेगा। 6 मई को दिन में 2:13 पर "आनन्द" संवत्सर का प्रवेश होगा परन्तु संकल्पादि में 'प्रमादी' संवत्सर का ही वर्ष पर्यन्त प्रयोग होगा। ब्रह्माण्ड के मंत्रीमंडल में इस वर्ष प्रधानमंत्री (राजा) बुध तथा उपप्रधानमंत्री (मंत्री) चन्द्रमा है। अत: जिसके फलस्वरूप उच्च पदस्थ प्रशासकों का अपने सहयोगियों के प्रति असन्तोष एवं आक्रोश की स्थितियां उत्पन्न होंगी परन्तु अधीनस्थ सभी लोग प्रशासक के अनुकूल ही कार्य करते रहेंगे।
देश के लिए कैसा रहेगा नव संवत्सर
जगल्लग्न के विचार से लग्नेश मंगल पराक्रम स्थान में उच्चराशिस्थ होकर देश की पद प्रतिष्ठा एवं उन्नति का सूचक है। उपप्रधानमंत्री चन्द्र होने से विश्वपटल पर राष्ट्र का प्रभाव बढ़ेगा। इससे पड़ोसी राष्ट्रों में व्याकुलता बढ़ेगी और हताश होकर तनावपूर्ण स्थितियों का निर्माण करेंगे। राष्ट्रीय राजनीतिक दलों में आरोप- प्रत्यारोप बढ़ेगा तथा जनता को राष्ट्र के प्रति राष्ट्रहित के कठोर नियमों के कारण कुछ परेशानियां उपस्थिति होंगी। विश्वबाजार में भारत की भागीदारी बढ़ेगी। इससे राष्ट्र की उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। विश्व के अनेक राष्ट्र विषम परिस्थिति में भारत के साथ सहयोग के लिए तत्पर रहेंगे। वर्ष लग्न के विचार से पूर्व की भांति इस वर्ष भी कर्क लग्न वर्षप्रवेश हो रहा है जिसका अधिपति चन्दमा भाग्य स्थान में मित्रग्रही है। इसके फलस्वरूप राष्ट्र की आन्तरिक व्यवस्थाएं हर प्रकार से सुदृढ़ होंगी। विश्व के लोगों का भारत के प्रति आकर्षण बढ़ेगा। इससे पर्यटन उद्योग को अत्यधिक लाभ प्राप्त होगा। राष्ट्र की सीमायें भी सशक्त होंगी। खाद्य एवं पेट्रोलियम मंत्री (सस्येश) बृहस्पति के होने से खरीफ फसलों की पैदावार सन्तोषजनक होगी। जिससे मूल्यों में समरसता बनी रहेगी। फल एवं तरकारी के दाम भी वर्षपर्यन्त अनुकूल रहेंगे। वर्ष के मध्य में कुछ प्राकृतिक घटनाएं सम्भावित हैं।
- ज्योतिषाचार्य पंडित गणेश प्रसाद मिश्र