इस मुद्दे पर जितेंद्र का कहना है
जितेंद्र मोलेस्टेशन मामले की कार्रवाई कोर्ट में 23 मई को शुरु हुई थी। जितेंद्र का पूरे मुद्दे पर कहना है कि बिना प्राथमिक जांज और सबूत के बिना पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर ली थी। वहीं जितेंद्र के वकील का कहना है की पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने के बाद जितेंद्र को उसकी कोई कॉपी भी नहीं दी न ही कोई सवाल पूछा। वकील के मुताबिक जितेंद्र पर ये आरोप उनकी इमेज को खराब करने की कोई साजिश है।
इस धारा के तहत प्राथमिकी हुई थी दर्ज
शिमला में एक महिला पुलिस स्टेशन में दंड संहिता की धारा 354 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी । फिलहाल इस प्राथमिकी के आधार पर चल रही कार्रवाई रोक दी गई है। बता दें की दंड संहिता की धारा 354 के तहत कोई भी अपने आक्रमक या आपराधिक रवैये से महिला को बलपूर्वक अपमानित करने के इरादे से की गई कोशिश है। हलांकि जितेंद्र के वकील ने इस पूरे मामले को हास्यास्पद बताया है।
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ये था मोलेस्टेशन का पूरा मामला
जितेंद्र से उनकी 10 साल छोटी कजिन सिस्टर ने 'मी टू' कैंपेन के तहत दुनिया के सामने अपने मोलेस्टेशन की पूरी कहानी रखी। करीब 50 साल तक वो चुप रहीं और फिर अचानक ही उन्होंने पुलिस जा कर रिपोर्ट दर्ज करा दी। पीडि़ता के मुताबिक वो हिमाचल प्रदेश में जितेंद्र की फिल्म की शूटिंग के दौरान उनसे मिलने गई थीं। पीडि़ता ने बताया जितेंद्र ने उन्हें खुद मुंबई से हिमाचल मिलने के लिए बुलाया था। पीडि़ता के अनुसार वहां एक होटल के रूम में जितेंद्र ने पीडि़ता के साथ मोलेस्टेशन किया।
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