कंपनी का दावा है कि ग्वांग्झू के सीटीएफ़ फ़ाइनेंशियल सेंटर में लगने वाली ये लिफ़्ट दुनिया की सबसे तेज़ रफ्तार से चलने वाली लिफ़्ट होगी और उसे इमारत के पहली मंज़िल से 95वीं मंज़िल तक पहुँचने में 43 सेकेंड लगेंगे.
इस गगनचुंबी इमारत का निर्माण कार्य 2016 तक पूरा हो जाने की संभावना है.
अभी ताइवान की 'ताइपेई 101' इमारत के बारे में माना जाता है कि इसकी लिफ़्ट सबसे तेज़ रफ्तार से चलती है और इसकी अधिकतम रफ्तार 60.6 किलोमीटर प्रतिघंटा है.
कंपनी का दावा है कि इस लिफ़्ट की यात्रा उस सूरत में भी 'आरामदेह' होगी जबकि वह अपनी अधिकतम रफ़्तार पर होगी.
कंपनी का कहना है कि ये लिफ़्ट उसमें सफ़र करने वाले लोगों के कान बंद होने से उनका बचाव करेगी और इसके लिए केबिन में कृत्रिम तौर पर हवा का दबाव बरकरार रखा जाएगा.
डॉक्टर गिना बार्ने लिफ़्ट में इस्तेमाल होने वाली तकनीक की जानकार हैं. उनका कहना है कि तेज़ रफ़्तार वाली लिफ्ट में यात्रियों को असुविधा से बचाना सबसे बड़ी चुनौती होती है.
'थोड़ी तकलीफ'
उन्होंने बीबीसी से कहा, "जब आप उस दूरी को तय कर रहे होंगे तो आपके कानों को ऊँचाई और रफ़्तार के दबाव का सामना करना पड़ेगा. इमारतों में तेज़ रफ़्तार से यात्रा करने की संभवतः ये सबसे महत्वपूर्ण समस्या है कि लोगों को थोड़ी तकलीफ़ होती है."
हिताची ने कहा है कि लिफ्ट में ऐसे 'रोलर' लगे होंगे जो कि हवा के दबाव की वजह से मुड़ने लगेंगे. इससे लिफ़्ट की यात्रा सहज रहेगी. लिफ़्ट के ब्रेक को बहुत ज़्यादा गर्मी सहने के लायक बनाया गया है जो कि किसी ख़राबी की सूरत में पैदा हो सकती है. इस इमारत में ऐसी 95 लिफ़्ट लगी होंगी जोकि बेहद तेज़ रफ़्तार से चलेंगी.
इस इमारत में 28 'डबल-डेकर' लिफ्ट भी लगाई जाएंगी. ग्वांगझू सीटीएफ़ फ़ाइनेंशियल सेंटर में दफ़्तर, होटल और लोगों की रिहाइश की जगह होगी.
ग्लोबल रेस
हिताची का कहना है कि अगर उसकी लिफ़्ट ठीक से काम कर जाती है तो वो दुनिया की सबसे तेज़ रफ़्तार से चलने वाली लिफ्ट की सूची में अपनी जगह बना लेगी. फिलहाल ये रिकॉर्ड ताइवान के नाम है जहाँ 'ताइपेई 101' में पाँचवें तल से 89वें तल पर पहुँचने में 37 सेकेंड लगते हैं. इसकी रफ्तार 1,010 मीटर प्रति मिनट है.
जापान में 'योकोहामा लैंडमार्क टावर' में लगी लिफ़्ट एक मिनट में 750 मीटर की दूरी तय करती है जबकि दुनिया की सबसे ऊँची इमारत दुबई की 'बुर्ज़ खलीफा' की लिफ़्ट एक मिनट में 600 मीटर का फ़ासला तय करती है.
लंदन की 'शार्ड' पश्चिमी यूरोप की सबसे ऊँची इमारत है. इसकी लिफ़्ट की रफ्तार 360 मीटर प्रति मिनट है.
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