-पीडि़ता का बयान न लेने और पिता की मौत के आरोपी पुलिस कर्मियों की गिरफ्तारी न होने पर कोर्ट सख्त
-पूछा, आरोपी विधायक कुलदीप सेंगर व अन्य को उन्नाव जेल से लखनऊ जेल क्यों नहीं ले जाया गया
सीबीआई ने दिया कार्यवाही का आश्वासन
चीफ जस्टिस डीबी भोंसले और जस्टिस सुनीत कुमार की खंडपीठ ने सीबीआई की प्रोग्रेस रिपोर्ट पर कहा कि 20 जून 2017 को हुए गैंगरेप के आरोपियों की जमानत निरस्त करने की कार्यवाही क्यों नहीं की गई? सीबीआई ने उन्नाव में चल रहे पॉक्सो केस के लखनऊ ट्रांसफर की मांग में अर्जी दाखिल की, जिस पर कोर्ट ने आरोपियों को नोटिस जारी की है। कोर्ट ने पूछा कि आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर व अन्य को उन्नाव जेल से लखनऊ जेल क्यों नहीं ले जाया गया। इस पर सीबीआई के एसीपी ने एक हफ्ते में कार्यवाही करने का आश्वासन दिया। अब सुनवाई 21 मई को होगी।
पीडि़ता की मां ने भी दाखिल की अर्जी
खंडपीठ के समक्ष पीडि़ता की मां की तरफ से अर्जी दाखिल कर बताया गया कि उसके पति यानी पीडि़ता के पिता के विरुद्ध फर्जी प्राथमिकी दर्ज कराने वाला टिंकू सिंह लापता है। इसमें भी विधायक का हाथ है। सीबीआई इसकी भी जांच करे कि लापता टिंकू सिंह कहां है। कोर्ट ने सीबीआई को पीडि़ता के बयान दर्ज कर हत्या के आरोपियों की गिरफ्तारी करने को कहा। लखनऊ खंडपीठ ने 20 जून 2017 को हुए गैंगरेप के आरोपियों के छह माह से जेल में बंद होने के आधार पर जमानत दे दी है। इस पर नाराजगी जताते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि तमाम अपराधों के तहत 15-20 साल से आरोपी जेल में है तो छह माह जेल में बंद होने के आधार पर गैंगरेप के आरोपितों को जमानत क्यों दे दी गई?
15 दिन में रिपोर्ट तलब
याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता जीएस चतुर्वेदी, समित गोपाल, सीबीआई के अधिवक्ता ज्ञान प्रकाश व पीडि़ता की मां की तरफ से डीआर चौधरी ने पक्ष रखा। चौधरी का कहना था कि नामित अभियुक्त मनोज सिंह सेंगर की गिरफ्तारी नहीं की गई है। उसके पिता की हत्या करने के आरोपियों की भी गिरफ्तारी नहीं की गई है। कोर्ट ने कहा कि आर्म्स एक्ट की फर्जी एफआईआर के पीछे कौन है, इसका भी पता लगाया जाए। साथ ही पीडि़ता का बयान दर्ज कर आरोपियों के हिसाब से ठोस कार्रवाई की जाए। कोर्ट ने रेप के आरोपितों की जमानत कैंसिल न कराने को चौंकाने वाला बताते हुए सीबीआई को कानून के तहत कार्रवाई कर 15 दिन में रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है।