संजीव पांडेय (विदेश मामलों के विशेषज्ञ)। अमेरिका में पहली बार अश्वेत, एशियाई मूल की कमला हैरिस उपराष्ट्रपति बन गईं हैं। कमला हैरिस उपराष्ट्रपति पद पर पहुंचने वाली पहली महिला हैं। पहली बार अमेरिका में रक्षा मंत्री के पद पर एक अश्वेत मूल का कोई व्यक्ति बैठा है। लॉयड ऑस्टिन पहले अश्वेत हैं, जिन्हें अमेरिका का रक्षामंत्री बनने का गौरव प्राप्त हुआ है। ऑस्टिन अमेरिकी सेना में 41 सालों तक बड़े पदों पर काम कर चुके हैं। इराक में लंबे समय तक काम करने का अनुभव उनके पास है। किसी भी अश्वेत के लिए सेना में 41 साल तक कार्य करना अमेरिका में आसान काम नहीं है, जहां पुलिस से लेकर सेना में नस्ली भेदभाव जमकर होता है।
अमेरिकी इतिहास में पहली बार नेटिव अमेरिकन कैबिनेट सचिव
बाइडेन यहीं नहीं रुके हैं। उन्होंने पहली बार अमेरिकी इतिहास में किसी नेटिव अमेरिकन को कैबिनेट सचिव नियुक्त किया है। उसे आंतरिक मंत्रालय का कार्यभार भी दिया है। नेटिव अमेरिकन महिला डेब हालेंद को बाइडेन ने कैबिनेट सचिव नियुक्त किया है। निश्चित तौर पर बाइडेन के संकेत हैं कि अमेरिका में नस्लों के आधार पर बढ़ रहे विभाजन को रोका जाएगा। इसलिए अमेरिकी प्रशासन में महत्वपूर्ण पदों पर तमाम वैसे लोगों को जगह दी है जिनके समाज को अमेरिकी समाज में उपेक्षा का शिकार होना पड़ता है। हालांकि इन नियुक्तियों से ही अमेरिकी समाज की समस्या खत्म नहीं होगी, क्योंकि डोनाल्ड ट्रम्प ने पहले से ही विभाजित अमेरिकी समाज को और हिंसक बना दिया है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन में अमेरिका कर रहा वापसी
बाइडेन प्रशासन ने अपनी विदेश नीति को लेकर कुछ संकेत दे दिए हैं। उन्होंने ट्रम्प के कई फैसले बदल दिए हैं। अमेरिका विश्व स्वास्थ्य संगठन में वापसी कर रहा है। बाइडेन ने पेरिस क्लाइमेट एकॉर्ड में भी वापसी का फैसला लिया है। बाइडेन ईरान से संबंधों को ठीक करने का संकेत दे चुके हैं। जल्द ही बाइडेन ईरान से अपने संबंधों को सामान्य करने की कोशिश करेंगे। बाइडेन ईरान के साथ हुए परमाणु करार को दोबारा बहाल करने के लिए तैयार हैं, बशर्ते ईरान भी अपनी तरफ से कुछ लचीलापन दिखाए। बराक ओबामा के कार्यकाल में ईरान के साथ हुए परमाणु करार को ट्रम्प प्रशासन ने खत्म कर दिया था। ट्रम्प प्रशासन ने ईरान पर सख्त आर्थिक प्रतिबंध लगाए थे। अब अमेरिका की ईरान नीति में बदलाव के संकेत हैं। यही नहीं अमेरिका अपने मिडल ईस्ट की पॉलिसी में भी बदलाव लाएगा। दरअसल, सीआईए के मुखिया पद पर विलियम बन्र्स की नियुक्ति ने अमेरिकी विदेश नीति की कुछ रूपरेखा तय की है। विलियम बन्र्स अमेरिकी विदेश नीति के विशेषज्ञ हैं। बराक ओबामा के कार्यकाल में ईरान के बीच हुए परमाणु करार के पीछे मुख्य दिमाग विलियम बन्र्स का ही था। दरअसल, विदेश नीति के विशेषज्ञ विलियम को सीआईए का निदेशक बनाकर बाइडेन ने साउथ एशिया और वेस्ट एशिया में अमेरिकी खुफिया एजेंसियों की भूमिका को अमेरिकी विदेश नीति के साथ संतुलित करने का संकेत दिया है।
सऊदी अरब और ईरान के बीच अमेरिका करेगा विदेश नीति को संतुलित
यह तय है कि ईरान और अमेरिका के संबंधों में सुधार होंगे। अमेरिका इजरायल, सऊदी अरब और ईरान के बीच अमेरिकी विदेश नीति को संतुलित करने का प्रयास करेगा। दरअसल, ट्रम्प ने मिडल-ईस्ट में कई कांटे बाइडेन प्रशासन के लिए पहले ही बो रखे हैं। ट्रम्प ने इजरायल और सऊदी अरब को नजदीक लाकर ईरान विरोधी मोर्चे को काफी मजबूत किया था, लेकिन बाइडेन ट्रम्प के इन प्रयासों के दुष्परिणामों को समझते हैं। इसलिए वे मिडल ईस्ट के तमाम देशों को लेकर अमेरिकी कूटनीति को संतुलित करने की कोशिश करेंगे। वैसे बाइडेन प्रशासन के सत्ता संभालने से पहले ही कतर और सऊदी अरब के बीच आपसी संबंध सामान्य होने लगे हैं। वहीं तुर्की भी सऊदी अरब से संबंधों को सामान्य करने की कोशिश में लगा हुआ है। गौरतलब है कि कतर-तुर्की-ईरान के त्रिगुट के खिलाफ सऊदी अरब और उसके सहयोगी देशों ने काफी सख्त रवैया अपना रखा है।
बर्नी के आर्थिक विचारों से मिलेगी चुनौती, कई सालों से चला रहे बहस
हालांकि, बाहर से यह लग रहा है कि बाइडेन को अमेरिका में चुनौती सिर्फ ट्रम्पवाद से मिलेगी, लेकिन बाइडेन को चुनौती डेमोक्रेटिक पार्टी में भी बर्नी सैंडर्स जैसे लोगों से मिलने वाली है। बाइडेन को चुनौती बर्नी के उन आर्थिक विचारों से मिलेगी, जिसपर वे पिछले कई सालों से अमेरिका में बहस चला रहे हैं। बर्नी सैंडर्स ने डेमोक्रेटिक पार्टी में बाइडेन के खिलाफ राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी बनने के लिए प्राइमरी में अच्छा संघर्ष किया। कई राज्यों में सैंडर्स ने बाइडेन को प्राइमरी में मात भी दी।
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