ये पुलिस स्टेशन राज्य के सभी ज़िलों की ऐसी शिकायतों पर कार्रवाई करेगा।
गुड़गांव के सेक्टर 51 की इस दो मंज़िला इमारत को रंग रोगन के बाद नई शक्ल दी गई है।
बिजली, पानी का इंतज़ाम, नई फ़ोन लाइन्स, नए पर्दे, कंप्यूटर्स, स्टेशनरी और कूलर्स लगाए जा रहे हैं।
इस इमारत में अभी तक ट्रैफिक पुलिस का दफ्तर था।
गुड़गांव के पुलिस कमिश्नर नवदीप सिंह वर्क ने बीबीसी को बताया, "महिलाओं की सभी शिकायतों को यहां दर्ज़ किया जा सकेगा।"
कानूनी मदद भी
गुड़गांव के पुलिस कमिश्नर नवदीप वर्क
"27 सदस्यों की पुलिस टीम की अगुआई एक महिला इंस्पेक्टर करेंगी।
टीम की सभी सदस्य महिलाएं होंगी। हमारे यहां ग़ैर सरकारी संस्थाओं के कार्यकर्ता और काउंसलर भी होंगे जो ज़रूरतमंद महिलाओं को कानूनी मदद भी दे सकेंगे।
और ज़रूरत पड़ने पर पुनर्वास में भी मदद करेंगे। यहां एक 50 सदस्यीय दंगा निरोधी महिला पुलिस का दस्ता भी रहेगा।"
इंस्पेक्टर उमेश बाला को इस स्टेशन की मुखिया के तौर पर चुना गया है। वे पिछले तीस सालों से पुलिस विभाग से जुडी रही हैं।
उन्हें महिलाओं के ख़िलाफ़ अत्याचारों के केसों से निपटने और ज़रूरतमंद महिलाओं के लिए शुरू की गई पुलिस हैल्पलाइन का संचालन करने का भी पर्याप्त अनुभव है।
उन्होंने बताया, "ज़्यादातर जो शिकायतें हमें मिलती हैं, वो यौन उत्पीड़न और पीछा करने या परेशान करने से जुड़ी होती हैं। जिन पुरुषों पर इल्ज़ाम लगाया जाता है वो अक्सर मुझे यही कहते हैं कि ये (महिला) तो मेरी दोस्त है।" तब मैं उनसे कहती हूं, अब वो तुम्हारी दोस्त नहीं है, इसलिए अब उसे तंग मत करो, वो तुम्हारी जायदाद नहीं है।"
गुड़गांव को भारत की मिलेनियम सिटी के नाम से जाना जाता है। पिछले कुछ सालों में गुड़गांव खेतों वाले इलाके से एक तकनीकी केंद्र में बदल गया है जहां कई बड़ी कंपनियों के कॉरपोरेट ऑफिस और कॉल सेंटर हैं।
लेकिन लोगों का रवैया अभी नहीं बदला है। राज्य के ज़्यादातर हिस्से ग्रामीण हैं, जहां गुड़गांव से आती आधुनिकता और गहरे पैठी परंपराओं का मेल अभी नहीं हो पाया है।
राज्य का समाज सख्त तौर पर पितृसत्तात्मक है और पूरे देश में यहां सेक्स अनुपात सबसे शोचनीय है जातिगत भेदभाव भी यहां काफी प्रबल है।
महिलाओं में जगेगा विश्वास
इंस्पेक्टर उमेश बाला गुड़गांव के इस पुलिस स्टेशन की इंचार्ज होंगी
हरियाणा में महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध की दर लगातार ऊंची रही हैं।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के मुताबिक, राज्य में महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध के कुल 8974 केस दर्ज़ किए गए जिनमें 3501 केस दहेज उत्पीड़न, 1174 बलात्कार के और 230 मामले गैंग रेप के थे।
मार्च में विधानसभा सत्र में राज्य सरकार को महिलाओं के ख़िलाफ़ बढ़ते अपराधों के लिए विपक्षी दलों की तीखी निंदा झेलनी पड़ी थी।
रिपोर्टों के मुताबिक, पुलिस का बर्ताव भी महिलाओं में ज़्यादा विश्वास जगा नहीं पाया है।
अप्रेल में ही राष्ट्रीय महिला आयोग ने बताया कि उन्हें पुलिस के उदासीन रुख की सैकड़ों शिकायतें मिलीं जहां पीड़ित महिलाएं अपनी शिकायत भी दर्ज़ नहीं करवा सकीं।
महिला पुलिस की कमी
भारतीय पुलिस में भी महिलाओं की बहुत कमी है। कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनीशिएटिव की एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक भारत की पुलिस में सिर्फ 6.11 फीसद महिलाएं हैं।
पुलिस कमिश्नर नवदीप सिंह वर्क भी इससे सहमत थे, "गुड़गांव में सिर्फ 350 महिला पुलिसकर्मी हैं. हमें कम से कम 1000 चाहिए।"
लेकिन उनका मानना है कि महिला पुलिस स्टेशन होने से लोगों की इस समझ में फर्क आएगा कि पुलिस महिलाओं को लेकर संवेदनशील नहीं है।
इंस्पेक्टर बाला ने भी कहा, " बहुत सी महिलाएं पुलिस स्टेशन जाना ही नहीं चाहतीं।
उन्हें हमसे अपनी समस्याओं के बारे में बात करना ज़्यादा अच्छा लगता है।
वे हमसे बिना किसी अपराधबोध या शर्म के हमसे बात कर सकती हैं।"
उनका कहना था कि बहुत सी महिलाएं चाहती थीं कि वे उनके केस की जांच करें. लेकिन वे सिर्फ वही केस ले सकती थीं जो उन्हें दिया जाता था।
अब हालात अलग होंगे- उन्हें ऐसी उम्मीद है।
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