कानपुर। यह सच है कि आज युवा देश की राजनीति मे आना चाहता है। लेकिन जब आज वह राजनीति के लिए कदम बढ़ाता है तो देखता है कि देश की राजनीति मे वो मुद्दे है ही नही, जो उसका भविष्य संवार सके। आज की राजनीति 'विरोध की राजनीति हो गई। राजनीतिक पार्टियां बस एक दूसरे का विरोध करती है, जबकि यूथ विरोध की नही, 'सॉल्यूशन की राजनीति' करना चाहता है।
कहां हैं युवाओं के मुद्दे
यूथ के पास अपनी समस्याएं और उसके अपने मुद्दे है। वो उन मुद्दो का हल करने के लिए राजनीति मे आना चाहता है, लेकिन उसे यह हल... ज्यादातर पार्टियों मे नही दिखता। ऐसे मे अपने कदम अक्सर रोक लेता है। जब तक देश मे यह विरोध की राजनीति नही खत्म होगी। जब तक युवाओ को यह अहसास नही होगा लोग सोचते है राजनीति मे आना किस्मत की बात होती है। किस्मत नही आपकी परिस्थितिया और सोच आपको नेता बनाती है। युवाओ को किस्मत के भरोसे नही रहना चाहिए. हालात बदलने है तो राजनीति मे आगे आना होगा। कि राजनीति मे अब उनके मुद्दो का हल संभव है तब तक युवा राजनीति मे आने मे संकोच करेगा। लेकिन एक सच यह भी है कि... ज्यादा पॉलिटिकल पार्टियां ऐसा चाहती ही नही है। ऐसे मे कहीं न कही, युवाओ को अपने हक और अपने मुद्दों के लिए
आगे आकर लड़ना होगा
ये युवा ही देश की राजनीति को बदल सकता है और उसे एक अच्छे ट्रैक पर ले जा सकता है। वैसे युवाओ के लिए राजनीति कोई आसान नही है। क्योकि वर्तमान राजनीति मे कई चुनौतियां भी है। युवाओ के लिए सबसे बड़ी चुनौती इस समय संविधान को ही बचाने की है। राजनीति मे परिवारवाद, विरोध एवं द्वेष की राजनीति समेत ऐसे कई अवरोध है जो कि युवाओ को राजनीति मे आने से रोकते है। अब हालात बदलने की जरूरत है। यह विड म् बना ही है कि जिस देश मे सबसे बड़ी आबादी युवाओ की ही हो, वहां की राजनीति मे बुजुर्ग नेताओ को ही वरीयता और मौका मिलता है, ऐसी स्थिति मे युवाओ को चुनौती का सामना करना ही पड़ेगा।
परिस्थितियां बनाती हैं नेता
वैसे कोई सामान्य नेता जन्म से नेता नही होता। जन्म से तो वही नेता होता है जिसके माता-पिता राजनेता हो। उसे वहां माहौल मिल जाता है। लेकिन असली नेता जन्म से नही परिस्थितियो से बनता है। क्योकि वो परिस्थितियां उसे देश और समाज की वास्तविकता का अहसास करती है। अमीर घरो मे जन्मे या राजनीतिक समृद्ध लोगो के घर के बच्चो को अक्सर पढ़ाई के लिए विदेश भेज दिया जाता है, बाद वो अपने पिता की विरासत संभालने या फिर देश की राजनीति मे आज आजमाने आ जाते है। सच तो यह है कि ऐसे युवाओ को अपने देश की सही स्थिति, मुद्दो और हालातो का अंदाजा ही नही होता। उनके ग्लैमर और परिवार के कारण लोग उन्हे युवा नेता मान भी लेते है, पर वो वास्तविक मे युवाओ का नेता हो ही नही सकता। क्योकि उसे अपने देश के युवाओ की हकीकत मालूम ही नही होती। मेरा मानना है कि युवा नेता अपने देश के सामान्य एवं गरीब परिवारो से होने वाले वो युवा होने चाहिए, जिन्होने उन परिस्थितियो को जिया हो, जो आज देश के सबसे बड़े मुद्दे हैं।
युवाओं के हक के लिए शुरू किया था आदोलन
आज राजनीति मे बात होती है जाति की, धर्म की, मंदिर और मस्जिद की। जबकि युवाओ के लिए यह सब नही कुछ और ही मुद्दे है। वो बेरोजगारी से आजादी चाहता है। शिक्षा, कुपोषण जैसे मुद्दो का हल चाहता है। मैने भी ऐसे ही कुछ मुद्दो के कारण राजनीति मे प्रवेश किया। सच कहूं तो यह मै नेता होने से पहले एक आंदोलनकारी के रूप मे खुद को देखता हूं। जिसके लिए युवाओ की बेरोजगारी और किसानो की तंगहाली बड़ा मुद्दा था। सभी पार्टियां इसकी बात तो करती है, लेकिन कोई सही हल नही निकालती। इसी को लेकर मैने आंदोलन शुरू किया था। इसी आंदोलन ने अब यह रूप लिया है। शायद आज युवाओ को ऐसे ही आंदोलन करने की जरूरत है। अगर मेरे जैसा 25 साल का युवा देश की राजनीति मे बदलाव और नौजवानो के हक के लिए आंदोलन करने को तैयार हो सकता है, तो देश मे ऐसे और भी युवा आने चाहिए. ऐसा हुआ तो देश के सभी युवाओ को यह अहसास हो जाएगा कि अब राजनीति मे उनकी भी बात होगी और उनके हक उन्हे मिलेगे।
पर्सनल ग्रोथ के लिए जरूरी हैं सार्थक रिश्ते : रवीना टंडन
National News inextlive from India News Desk