Happy Vasant Panchami 2020 : माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी वसंत पंचमी एक तरफ ज्ञान की देवी सरस्वती की पूजा का पर्व है तो दूसरी तरफ प्राकृतिक सौंदर्य के अधिष्ठाता ऋतुराज वसंत की शुभारंभ का प्रतीक भी वसंत पंचमी है वसंत पंचमी को समृद्धि का प्रतीक कहा जाता है शायद इसलिए ही वसंत पंचमी को श्री पंचमी भी कहा जाता है।
चढ़ाए जाते हैं पीले फूलों से बने गुलदस्ते
पवित्र नदियों में स्नान व प्राकृतिक सुंदरता पर आधारित वसंत उत्सव आज भौतिकवादी युग में धीरे- धीरे खत्म होता जा रहा है। पीले वस्त्र पहनने और पीले व्यंजन खाने की परंपरा भी खत्म होती जा रही है। फिर भी प्रत्येक वर्ष वसंत के आगमन पर पीले वस्त्र पहने जाते हैं। अबीर व गुलाल लगाकर इसका स्वागत करते हैं और वसंत पंचमी के अवसर पर आज भी श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। आज भी ख्वाजा मोइनुद्दीन की चिश्ती की दरगाह शरीफ के शाही कव्वाल सरसों के पीले फूलों के गद्दे व फूलों का गुलदस्ता बनाकर मजार पर चढ़ाते हैं। आज बहुत विद्यालयों पर वसंत पंचमी पर विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है।
वसंत ऋतु में आता है पहनावे में परिवर्तन
माघ मास के शुक्ल पक्ष की वसंत पंचमी कहते हैं। पूरे फाल्गुन से लेकर दशक तक आनंद भरा मादक प्रभाव बना रहता है। इस वसंत ऋतु में पहनावे में परिवर्तन आ जाता है। मोटे, भारी व शर्दियों के कपड़े शरीर से उतर जाते हैं और हल्के कपड़े पहनने शुरू हो जाते हैं। महिलाओं की वेशभूषा में पीली साड़ियां और पीले वस्त्र कुछ समय के लिए पहनना प्रारंभ हो जाता है। पीले वस्त्रों को पहनने का ज्यादा प्रचलन महाराष्ट्र, राजस्थान व उत्तर प्रदेश में है। राजस्थान में महिलाएं पीली साड़ी और लहंगे व ओढ़नी पहनती हैं और पश्चिम बंगाल में वसंत पंचमी बड़े ही उल्लास तथा सरस्वती पूजन के रूप में मनाई जाती है।
छह ऋतुओं में सबसे सुहावनी होती है वसंत
इसके प्रातः काल दोपहर सायं काल और रात्रि चारों काल मधुर होते हैं। इस ऋतु में शीतल मंद सुगंध पवन चलती है जो शरीर को सुखदाई और मन को प्रफुल्लित करने वाली होती है। मन प्रसन्न रहता है। उदासी दूर होती है। चेहरा खिला- खिला सा रहता है। व्यक्ति अनुराग में होता है और आशाएं इच्छाएं आमोद- प्रमोद की ओर जरा होती है। वसंत बॉस्को चैत्र वैशाख मास भी कहा जा सकता है।
सर्वप्रथम श्री कृष्ण की पूजा और अर्चना
माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को सर्वप्रथम भगवान श्री कृष्ण ने मां सरस्वती की अर्चना की तभी से सरस्वती देवी पूजन का प्रचलन वसंत पंचमी के दिन होने लगा। तब भगवान श्रीकृष्ण ने कहा था कि हे देवी ब्रह्मांड में प्रति वर्ष माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन आस्था के साथ तुम्हारी पूजा होगी।
- ज्योतिषाचार्य पंडित दीपक पांडेय