कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। भगवान गणेश विघ्नहर्ता, साथ ही सर्वमांगलयकर्ता भी हैं, मान्यताओं के अनुसार सूर्य से आरोग्य, अग्नि से श्री, शिव से ज्ञान, भगवान विष्णु से मोक्ष, दुर्गा आदि देवियों से रक्षा, लक्ष्मी से ऐश्वर्य वृद्धि, सरस्वती से विद्या तत्व, भैरव से कठिनाईयों पर विजय, कार्तिकेय से सन्तान प्राप्ति तथा भगवान गणेश से उक्त सभी वस्तुओं की याचना करनी चाहिए। भगवान गणेश सभी प्रकार की मान्यतओं को पूर्ण करने वाले हैं। ब्रह्मा, शिव और विष्णु ने गणेशजी को कर्मों में विघ्न डालने का अधिकार तथा पूजन के उपरान्त उसे शान्त कर देने का सामर्थ्य प्रदान किया है तथा सभी गणों का स्वामी बनाया है।
हर युग में हुआ भगवान गणेश का जन्म
भगवान गणेश का वर्तमान स्वरूप गजानन रूप में पार्वती-शिव पुत्र के रूप में पूजा जाता है, यह उनका द्वापर युग का अवतार है, सतयुग में भगवान गणेश महोत्कट विनायक के नाम से प्रसिद्ध हुये थे, जिनका वाहन सिंह था। त्रेता युग में मयूरेश्वर के नाम से जाने गये, जिनका वाहन मयूर था। द्वापर युग का प्रसिद्ध रूप गजानन है, जिसका वाहन मूषक है और कलयुग के अन्त में भगवान गणेश का धर्मरक्षक धूम्रकेतू प्रकट होगा। भगवान गणेश धनप्रदायक भी हैं। इसलिए गणपति का प्रवेश एवं स्थापना शुभ मुहुर्त में करना श्रेष्ठ रहता है।
चंद्रमा दर्शन से लगता है मिथ्या कलंक
सिद्धि विनायक व्रत भाद्र शुक्ल चतुर्थी को किया जाता है। इस दिन मध्यान्ह काल में गणेश जी का जन्म हुआ था। इसलिए मध्यान्ह व्यापनी चतुर्थी को यह व्रत किया जाता है। इस दिन रात्रि में चन्द्र दर्शन करने से मिथ्या कलंक लगता है। ब्रह्मवैवर्तपुराण के अनुसार गणेश जी के जन्म के समय ही शनि की वक्र दृष्टि पडऩे से उनका सिर कट गया, इस पर विष्णु जी ने एक हाथी का सिर काट कर उनके धड़ पर जोड़ दिया और तभी उनका नाम "गजानन" पड़ा।
गणेश पुराण की यह है कहानी
गणेश पुराण के अनुसार माता पार्वती स्नान करने जा रही थीं, उन्होंने अपने कक्ष तक किसी को भी न आने देने के लिए एक मिट्टी के बालक की रचना की और उसे जीवन देकर पहरेदार बना दिया। पार्वती-पति भगवान शिव आये और अन्त:पुर की ओर जाने लगे तभी पहरेदार बालक ने टोका- शिव को क्रोध आया और उन्होंने उसका मस्तक काट डाला, माँ पार्वती को जब यह ज्ञात हुआ कि उनके पुत्र का शिवजी के द्वारा वध हुआ है तो उन्होंने दु:खी होकर भगवान शंकर से प्रार्थना की कि वह उसे पुन: जीवनदान दें, तब शिव जी ने प्राश्चित करते हुये एक गज मुख को बालक के शरीर पर जोड़ दिया।
ज्योतिषाचार्य पं राजीव शर्मा।
बालाजी ज्योतिष संस्थान, बरेली।