कानपुर (इंटरनेट-डेस्क)। Happy Diwali 2020: दिवाली का पर्व अमावस्या के दिन धूमधाम से मनाया जाता है। यहभारतीय संस्कृत का प्रमुख त्यौहार है। इस बार दिवाली का पर्व 14 नवंबर को मनाया जा रहा है। पांच दिनों तक चलने वाला दिवाली का यह त्योहार धनतेरस से शुरू होकर भैया दूज पर समाप्त होता है। इस दिन धन, संपदा और वैभव की देवी माता लक्ष्मी और गणपति के पूजन का विधान है। ज्योतिषाचार्य डाॅक्टर त्रिलोकी नाथ के मुताबिक दीपावली के दिन लक्ष्मी जी की विशेष पूजा होती है। शाम को गोधूली के बाद लक्ष्मी जी की पूजा का विशेष विधान है।
दिवाली का महत्व
हिंदू धर्म में लक्ष्मी जी को धन की देवी और गणेश भगवान बुद्धि देवता माना जाता है। दिवाली के दिन इनकी पूजा करने से बुद्धि और धन की प्राप्ति होती है। इसलिए दिवाली के दिन शाम के समय मां लक्ष्मी के साथ-साथ गणेश जी की प्रतिमा रखकर दोनों की साथ में विधिवत पूजा की जाती है। इस दिन उद्योग-धंधों के साथ ही नए काम करने एवं पुराने व्यापार में खाता पूजन का विशेष विधान है। दिवाली पर्व को असत्य पर सत्य की विजय के रुप में भी मनाया जाता है। जीवन के घने अंधकार को छोंड़कर प्रकाश की ओर ले जाने वाला त्यौहार है।
दिवाली का इतिहास
दिवाली को लेकर कई प्रथाएं प्रचलित हैं। भगवान राम जब रावण का वध करके माता सीता जी के साथ अयोध्या आये तो अयोध्यावासियों ने नगर को सजाया और लाखों द्वीप जलाकर हर्षोल्लास के साथ उनके आगमन पर खुशी मनाई थी। दीपावली पर्व के दिन ही माता लक्ष्मी का अवतार इस सृष्टि में हुआ था। माता लक्ष्मी की कृपा मुद्रा के रुप में, प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रुप में सबके साथ रहती है। इस दिन ही पांडुवों को अपना राज्य वापस मिला था और खुशी में नगर को दीपों से सजाया गया। इसी दिन राजा विक्रमादित्य का राज्याभिषेक भी हुआ था।
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