कानपुर। 16 नवंबर 1971 को पाकिस्तान में जन्में वकार यूनुस 90 के दशक में बेहतरीन पाक गेंदबाजों में से एक रहे। वसीम अकरम और वकार यूनुस की जोड़ी से उस वक्त बड़े से बड़े बल्लेबाज डरते थे। वकार को रिर्वस स्विंग में महारथ हासिल थी। यही वजह है कि क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर भी उनसे डरते थे। सचिन ने एक इंटरव्यू में बताया था कि जब वह पहला टेस्ट मैच खेलने मैदान में उतरे थे तो उनका सामना वकार और अकरम की जोड़ी से हुआ। मैच के दौरान उन्हें बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि वकार की गेंदों का कैसे जवाब दें। वकार की यही खासियत उन्हें सबसे अलग गेंदबाज बनाती है। वकार को क्रिकेट छोड़े करीब 15 साल हो गए मगर उनके जैसा स्विंग गेंदबाज पाक टीम को दूसरा नहीं मिल पाया।
पहले ही मैच में सचिन को किया था बोल्ड
क्रिकइन्फो पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, वकार ने 18 साल की उम्र में भारत के खिलाफ टेस्ट डेब्यू किया था। यह सचिन का भी डेब्यू मैच था और उन्हें 15 रन पर वकार यूनुस ने ही बोल्ड किया था। तेंदुलकर अपने डेब्यू टेस्ट को भले ही यादगार नहीं बना पाए मगर वकार ने पहले ही मैच में चार विकेट लेकर इंटरनेशनल क्रिकेट में अपनी गेंदबाजी का डंका बजा दिया। करीब एक दशक से ज्यादा लंबे करियर में वकार ने टेस्ट में कुल 373 और वनडे में 416 विकेट अपने नाम किए। यही नहीं टेस्ट में उन्होंने पांच बार दस विकेट लेने का कारनामा किया।
एक हाथ में नहीं थी छोटी उंगली
वकार यूनुस के बारे में यह बहुत कम लोगों को पता है कि उनके एक हाथ में छोटी उंगली नहीं थी। क्रिकेट की प्रतिष्ठित मैग्जीन विस्डन की वेबसाइट के मुताबिक, वकार जब छोटे थे तो घर के पास ही एक नदी में नहाने जाया करते थे। एक दिन वह पुल से नदी में कूदे तभी उनका हाथ एक पत्थर से टकरा गया और उनके बाएं हाथ की सबसे छोटी उंगली कट गई। इसके बावजूद वकार ने हिम्मत नहीं हारी और क्रिकेट जगत में बतौर गेंदबाज अपनी एक पहचान बनाई।
बाॅल टेंपरिंग में सजा पाने वाले पहले क्रिकेटर
वकार यूनुस ने जिंदगीभर भले नाम कमाया मगर क्रिकेट से अलविदा लेते-लेते एक दाग जरूर लगा गए। दरअसल वकार बाॅल टेंपरिंग में सजा पाने वाले पहले क्रिकेटर हैं। साल 2000 में श्रीलंका के खिलाफ एक टेस्ट में वकार ने गेंद के साथ छेड़छाड़ की थी। उनकी यह हरकत कैमरे में कैद हो गई। इसके बाद वकार को बाॅल टेंपरिंग का दोषी पाया गया और उनके ऊपर एक मैच का बैन साथ ही मैच फीस का 50 प्रतिशत जुर्माना लगाया गया।
बाॅलिंग करते समय फेफड़ों से निकलता था खून, आखिरकार क्रिकेट से लेना ही पड़ा संन्यास
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