कानपुर। 8 जुलाई 1972 को कोलकाता में जन्में सौरव गांगुली भारत के बाएं हाथ के बेहतरीन ओपनर बल्लेबाज रहे हैं। दादा आज अपना 48वां बर्थडे मना रहे हैं। गांगुली जब अपने करियर के चरम पर थे, उस वक्त उनकी और सचिन की जोड़ी खूब हिट थी। वहीं टेस्ट में गांगुली, सचिन, द्रविड़ और लक्ष्मण को फैब फोर कहा जाता था। दादा ने चुनिंदा खिलाड़ियों की एक टीम बनाई जिसने विश्व क्रिकेट में कई कीर्तिमान स्थापित किए। वनडे में बड़े-बड़े रिकाॅर्ड बनाने वाले दादा टेस्ट में भी पीछे नहीं हैं।
डेब्यू टेस्ट में जड़ा था सैकड़ा
सौरव उन चुनिंदा बल्लेबाजों में शामिल हैं, जिन्होंने अपने पहले ही टेस्ट में शतक जड़ा। 24 साल पहले सौरव ने अपनी शुरुआत की। गांगुली ने पहले टेस्ट में 131 रनों की शानदार पारी खेली जिसके लिए उन्होंने 301 गेंदें खेलीं। जिसमें उन्होंने 20 चौके जड़े। उस पारी के साथ, गांगुली ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जोरदार तरीके से इंट्री मारी थी। इसी के याथ वह टेस्ट डेब्यू पर शतक बनाने वाले 10 वें बल्लेबाज बने और लॉर्ड्स पर यह उपलब्धि हासिल करने वाले पहले भारतीय भी बने।
द्रविड़ और गांगुली का एक साथ टेस्ट डेब्यू
द्रविड़ और गांगुली दोनों का टेस्ट रिकाॅर्ड लाजवाब है। मगर आपको पता है इन दिनों बल्लेबाजों ने एक साथ टेस्ट डेब्यू किया था। गांगुली ने तो शतक जड़ दिया था, मगर दाएं हाथ के बल्लेबाज 95 रन पर आउट होने के बाद शतक से चूक गए। यही नहीं गांगुली ने अपने पूरे टेस्ट करिया में द्रविड़ के बिना एक भी टेस्ट नहीं खेला। पहले टेस्ट से लेकर आखिरी टेस्ट तक गांगुली जब-जब मैदान में टेस्ट खेलने उतरे, उनके साथ राहुल द्रविड़ जरूर रहे।


चार साल तक रहे टीम से बाहर
बाएं हाथ के बल्लेबाज गांगुली ने 1992 में वेस्टइंडीज के खिलाफ एकदिवसीय मैच में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण किया था। हालांकि, वह सिर्फ तीन रन ही बना सके और अगले चार साल तक भारतीय प्लेइंग इलेवन में शामिल नहीं हुए। मई 1996 में, उन्होंने भारतीय टीम में वापसी की और 26 मई को मैनचेस्टर में इंग्लैंड के खिलाफ खेले गए वनडे के लिए टीम में शामिल किया गया। उन्होंने उस मैच में 46 रन बनाए। 47 वर्षीय गांगुली ने भारत के लिए कुल 113 टेस्ट और 311 एकदिवसीय मैच खेले जिसमें उन्होंने क्रमशः 7,212 और 11,363 रन बनाए।
मदन लाल के कहने पर बने सलामी बल्लेबाज
सौरव ने मिडिल ऑर्डर बल्लेबाज के रूप में पर्दापण किया था। मगर वह मदन लाल की वजह से ओपनिंग बल्लेबाज बने। लाल ने यह भी कहा कि भारत के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली अपने शुरुआती दिनों में मिडिल ऑर्डर में संघर्ष कर रहे थे। एक बार जब उन्हें ओपनिंग का मौका मिला तो परिस्थिति बदल गई। मदन कहते हैं, "हम दादा का उपयोग करना चाहते थे। उन्हें याद है कि नहीं, मगर एक बार मैंने गांगुली से कहा था कि आप नंबर 5 की बजाए सीधे ओपन करें।हर खिलाड़ी की अपनी शैली होती है। गांगुली के पास सभी स्ट्रोक थे। हर बल्लेबाज को रन बनाने के लिए कुछ समय चाहिए। यदि आप कुछ ओवर सिर्फ एक-दो रन बनाकर खेलते हैं, बाद में आप चढ़ाई कर सकते हैं।

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