कानपुर। नसीरुद्दीन शाह, हिंदी फिल्मों का एक जाना पहचाना नाम हैं। उनकी काबिलियत का सबसे बड़ा सुबूत है, सिनेमा की दोनों धाराओं में उनकी कामयाबी। नसीर का बॉलीवुड डेब्यु फिल्म निशांत से हुआ। नसीरुद्दीन शाह को 3 राष्ट्रीय पुरस्कार और 3 फिल्मफेयर पुरस्कारों के साथ पद्म भूषण, पद्म श्री जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।आज उनके जन्मदिन पर, हम आपके लिए बॉलीवुड फिल्मों के उनके 7 फेमस डायलॉग याद दिला रहे हैं।
फिल्म: 'ए वेडनसडे'
डायलॉग: "आप के घर में कॉकरोच आता है तो आप क्या करते हैं ये राठौर साहब? ... आप उनको पालते नहीं मारते हैं"
फ़िल्म: 'खुदा के लिए'
डायलॉग: "इश्क जब इंतिहा को छूता है, तो आशिक का जी चाहता है, वो भी दिखने में, अपने महबूब जैसा बन जाए। कहीं हम गलती तो नहीं कर रहे हैं, के आशिक का पहला कदम इश्क की आखिरी सीढ़ी पे रखवा रहे हैं।"
फ़िल्म: 'राज़नीति'
डायलॉग: "सवाल झंडे के रंग का नहीं है, क्यूंकि गरीबी, भुकमरी, बेकारी, ये सब रंग पूछ के वार नहीं करतीं। ये तो पेट की मारी जनता है साहब, एक रोटी का आसरा दे दीजिए, दो मीठे वादे कर दीजिए।ये किसी भी रंग का झंडा उठा लेंगे ।"
फिल्म: 'डेढ़ इश्किया'
डायलॉग: "सात मुकाम होते हैं इश्क में, दिलकशी, उंस, मुहब्बत, अकीदत, इबादत, जूनून और मौत।"
फ़िल्म: 'सरफ़रोश'
डायलॉग: "कुछ होश नहीं रहता, कुछ ध्यान नहीं रहता, इंसान मोहब्बत में इन्सान नहीं रहता।"
फिल्म: 'द डर्टी पिक्चर'
डायलॉग: "जब शराफत के कपडे उतरते हैं, तब सब से ज्यादा मजा शरीफों को ही आता है।"
फिल्म: 'इकबाल'
डायलॉग: "दिमाग और दिल जब एक साथ काम करते हैं ना, तो फर्क नहीं पड़ता है की दिमाग कौन सा है और दिल कौन सा है।"
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